Thursday, March 19, 2009

जिदंगी पहले परीक्षा लेती है फिर सिखाती है सबक : मुनि तत्वरुचि

राजसमन्द। स्कूल में पहले पाठ पढ़ाया जाता है फिर परीक्षा ली जाती है लेकिन जीवन का क्रम भिन्न है। जिंदगी में पहले परीक्षा ली जाती है उसके बाद सबक सिखाती है। जिंदगी की परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही शिक्षा की सार्थकता है।
यह विचार मुनि तत्वरुचि ने गुरुवार के तेरापंथ भवन कांकरोली में तेरापंथ महिला मण्डल की ओर से आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि माताएं अपने बच्चों को समझाए कि परीक्षा जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। हर इंसान को अपने दैनिक जीवन में इस प्रक्रिया से गुजरना पडता है। अंतर सिर्फ इतना है कि स्कूली परीक्षाएं कई दिनो, महिनो वर्ष भर की संगठित प्रक्रिया है। उन्होंने महिलाओं से कहा कि बच्चों को हीन भावना से ग्रस्त करने की बजाय उन्हें प्रोत्साहित करे। कार्यक्रम की अध्यक्षता तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती मंजू चोरडिया ने की। समारोह में मुनि भवभूति, श्रीमती विजयलक्ष्मी सोनी, नीता सोनी, मधु चोरडिया, मनीषा कच्छारा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन इंद्रा पगारिया ने किया। इससे पहले संगोष्ठी में महावीर जयंती के उपलक्ष् में तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा कन्या सुरक्षा के लिए भ्रुण परीक्षण निषेध संकल्प पत्र भराने का निर्णय हुआ। इस अवसर पर जयश्री मालू, प्रतिभा माण्डोत, सोहन देवी वागरेचा, मंजू दक, मंजू वागरेचा, मंजू सामरा आदि अनेक महिलाएं मौजूद थी।

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