Tuesday, March 3, 2009

साधना और संघ के विकास का आधार है सम्यक दर्शन : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। तेरापंथ सभा कांकरोली में तेरापंथ महिला मंडल की ओर से आयोजित जैन जीवन शैली व्याख्यानमाला के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि सम्यक दर्शन साधना और संघ के विकास का आधार है। सम्यक दर्शन के अभाव में श्रावकत्व भी संभव नहीं। धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा का भाव सम्यक दर्शन से प्राप्त होता है। उन्होने सम्यक दर्शन के आठ आचारों की चर्चा करते हुए कहा वीतराग वाणी में संदेह न करना, उस पर दृढ श्रद्धा भाव रखना नि:शंका है। वीतराग दर्शन से भिन्न दर्शन की इच्छा आकांक्षा न करना निष्कांक्षा है। इसी प्रकार धार्मिक क्रिया के फल में संदेह न रखना निर्विचिकित्सा है। वीतराग दर्शन से भिन्न दर्शन के आडम्बर से प्रभावित होना मूडता है। मुनि ने कहा वास्तव में सम्यक दर्शन जीवन की आधारशीला है। इससे परस्पर सहयोग और सहानुभूति की भावना की प्रेरणा मिलती है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी जैन जीवन शैली के सम्बन्ध में प्रेरणा दी। समारोह में तेरापंथ सभाध्यक्ष महेन्द्र कुमार कोठारी, राजस्थान अणुव्रत साहित्य समिति के सदस्य मदन कुमार धोका आदि ने भी विचार रखे।

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