Monday, March 16, 2009

जन्म मरण का मूल- कर्म : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि जन्म और मरण का मूल है कर्म। कृत कर्म से छुटकारा पाये बिना मुक्ति संभव नहीं। धर्म का पथ कर्म मुक्ति का पथ है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म के आचरण से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मुनि ने यह विचार रविवार को तेरापंथ सभा भवन कांकरोली में प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। उन्होने कहा कि पवित्रता के लिए आवश्यक है कि आदमी अकरणीय न करें और करणीय में विलम्ब न करे। पाप की सफाई के लिए धर्म की कमाई जरूरी है। ऐसा कोई कृत्य न करें जिसका परिणाम आने पर पश्चाताप करना पडे।

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