Sunday, June 21, 2009

पाक नागरिक को मादरे वतन की मिट्टी हुई नसीब

राजसमन्द। विभाजन से पहले पाकिस्तान के कराची शहर में जा बसी राजनगर (राजसमन्द) की बेटी को आखिरी समय में भी अपनी मातृभृमि नसीब हो गई। जीवन के 82 बसंत देख चुकी रेहमत खानम पति और परिवारजनाें के साथ मायके आई हुई थी और यहीं पर उनके पुस्तेनी मकान में उनका इंतकाल हो गया। उनको यहीं के कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। जानकारी के अनुसार नॉर्थ कराची (पाकिस्तान) निवासी रेहमत खानम पत्नी याकूब खान का गत बुधवार शाम को इंतकाल हो गया। यहां पति याकूब खान, बेटे अयुब खान सहित परिवार के छह सदस्याें और मायके वालों की मौजूदगी में राजनगर कब्रिस्तान में दफनाया गया। रेहमत खानम अपने पति याकूब खान, बेटे अयूब खान, बहू शबीना खान, पौते अहसन, हसान, पोती बिनिश खान के साथ 17 मई को राजनगर आई थी। बुधवार की शाम पठानवाडी वाडी में रह रहे अपने छोटे भाई अहमद खां के यहां दावत पर गई हुई थी जहां सांस चढने के बाद उन्हें यहां निजी अस्पताल ले जाया गया। वहां से आरके अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। अस्पताल जाते समय रास्ते में ही उनका इंतकाल हो गया। चार भाईयाें व उनके परिवार व कराची के परिवारजनों की मौजूदगी में शहर के कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया। अभी इनका परिवार मामू भाणेज रोड स्थित अकबर खान के बेटे रफीक खान के यहां ठहरा हुआ है।
मांडल में हुई थी शादी फिर कराची बस गए : भारत पाकिस्तान विभाजन से पहले रहमत खानम का भीलवाडा जिले के मांडल कस्बे में याकूब खान से राजनगर में ही निकाह हुआ था। निकाह के बाद याकूब परिवार सहित कराची बस गए। मांडल मेंे ससुराल होने के बावजूद खान दंपती राजनगर आना ही पसंद करता था। यहां रेहमत खानम के चार र्भा अशरफ खान, अकबर खान, याकूब खान व अहमद खान है। रेहमत खानम के भतीजे साजिद खान ने बताया कि उनकी बुआ डायबीटीज की मरीज थी और सांस की तकलीफ से भी परेशान थी।
जुम्मे को जाना था लेकिन मना कर दिया : रेहमत खानम की तबीयत नासाज देखते हुए पति याकूब खान ने इस जुम्मे (शुक्रवार) को कराची लौट जाने की बात कही तो उन्होने मना कर दिया था। वे कहने लगी कि वीजा 29 जून तक का है लिहाजा जल्दी क्याें जाएं। शायद उन्हें अंत समय का अंदाजा हो गया था और मातृभूमि पर ही अंतिम सांस लेने की उम्मीद थी ।

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