राजसमंद। जिला प्रमुख नारायण सिंह भाटी ने कहा कि पर्यावरण सुधार एवं जल संरक्षण के संस्कार हमे अपने समाज में पुष्ट करने होंगे जिससे प्रकृति का संतुलन कायम रह सके।
भाटी रविवार को गायत्री शक्तिपीठ सभागार में युवा चिंतक दिनेश श्रीमाली की पुस्तक झील के जख्म का लोकार्पण कर मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता डॉ. बसंतीलाल बाबेल ने की जबकि विशिष्ट अतिथि हनुमानगढ के जिला कलक्टर नवीन जैन, गायत्री परिवार के घनश्याम पालीवाल, तैराकी संघ के जिलाध्यक्ष विनोद सनाढय और लोक अधिकार मंच के सम्पत लडढा भी उपस्थित थे। समारोह में जैन एवं डॉ. बसंतीलाल बाबेल ने कहा कि श्रीमाली की लेखनी प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति संवेदना झलकती है। वहीं पर्यावरण सुधार की पहल को विचार एवं कर्म में समन्वय से भी जोडते है। सनाढय, पालीवाल एवं लङ्ढा ने राजसमंद झील सुधार आंदोलन में श्रीमाली की सकारात्मक भूमिका का रेखांकन करते हुए कहा कि वे उद्देश्य परक लेखन एवं कर्म में विश्वास करने वाले व्यक्ति रहे है। डॉ. राकेश तेलंग ने कहा कि दो दशक की संघर्ष यात्रा के कई पडाव पर उन्होंने पुस्तक में अपनी प्रखर अभिव्यक्ति करते हुए समस्या एवं समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। उन्होनें कहा कि इस पुस्तक में झील के संघर्ष इसमें दिए गए विविध योगदानों के संस्मरण है जिसका सही मूल्यांकन पाठक ही कर सकेंगे। समारोह में साहित्यकार फतहलाल अनोखा, समाज सेवी राजकुमार दक ने भी विचार व्यक्त किया। धीरा श्रीमाली ने सभी का स्वागत किया जबकि भंवर लाल श्रीमाली, जगदीश श्रीमाली ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए। समारोह में लोक अधिकार मंच, गायत्री परिवार, शिक्षक संघ एवं पंचायत राज शिक्षकों ने दिनेश श्रीमाली का अभिनंदन किया।
भाटी रविवार को गायत्री शक्तिपीठ सभागार में युवा चिंतक दिनेश श्रीमाली की पुस्तक झील के जख्म का लोकार्पण कर मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता डॉ. बसंतीलाल बाबेल ने की जबकि विशिष्ट अतिथि हनुमानगढ के जिला कलक्टर नवीन जैन, गायत्री परिवार के घनश्याम पालीवाल, तैराकी संघ के जिलाध्यक्ष विनोद सनाढय और लोक अधिकार मंच के सम्पत लडढा भी उपस्थित थे। समारोह में जैन एवं डॉ. बसंतीलाल बाबेल ने कहा कि श्रीमाली की लेखनी प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति संवेदना झलकती है। वहीं पर्यावरण सुधार की पहल को विचार एवं कर्म में समन्वय से भी जोडते है। सनाढय, पालीवाल एवं लङ्ढा ने राजसमंद झील सुधार आंदोलन में श्रीमाली की सकारात्मक भूमिका का रेखांकन करते हुए कहा कि वे उद्देश्य परक लेखन एवं कर्म में विश्वास करने वाले व्यक्ति रहे है। डॉ. राकेश तेलंग ने कहा कि दो दशक की संघर्ष यात्रा के कई पडाव पर उन्होंने पुस्तक में अपनी प्रखर अभिव्यक्ति करते हुए समस्या एवं समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। उन्होनें कहा कि इस पुस्तक में झील के संघर्ष इसमें दिए गए विविध योगदानों के संस्मरण है जिसका सही मूल्यांकन पाठक ही कर सकेंगे। समारोह में साहित्यकार फतहलाल अनोखा, समाज सेवी राजकुमार दक ने भी विचार व्यक्त किया। धीरा श्रीमाली ने सभी का स्वागत किया जबकि भंवर लाल श्रीमाली, जगदीश श्रीमाली ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए। समारोह में लोक अधिकार मंच, गायत्री परिवार, शिक्षक संघ एवं पंचायत राज शिक्षकों ने दिनेश श्रीमाली का अभिनंदन किया।
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