Tuesday, February 17, 2009

बुढापा अभिशाप नहीं वरदान है : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि ने कहा कि बुढापा बोझ नहीं ओज है, अभिशाप नहीं वरदान है, भार नहीं उपहार है और समस्या नहीं समाधान है। इसके लिए आवश्यक है कि हमारी सोच सकारात्मक हो। यदि हम बुढापे के प्रति सम्यक चिंतन करे तो एहसास होगा कि बुढापा जीवन का स्वर्णिम अवसर है। यह विचार मुनि ने मंगलवार को तेरापंथ भवन कांकरोली में तेरापंथ महिला मंडल की साप्ताहिक संगोष्ठी में नहीं .... मै बुढी होना नहीं चाहती विषय पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा बुढापा अतीत में हुई गलतियों को सुधारने और भविष्य को संवारने का सुअवसर है। बुढापा जीवन का परिपक्व मीठा फल है। जिसमेें ज्ञान की पूर्णता, अनुभव की मिठास, चिंतन की उपयोगिता और जीवन जीने की गहराई होती है। वास्तव में बुढापा चिंता का ईंधन नहीं नए जीवन का पुरूस्कार है। मुनि ने बताया कि प्रेक्षाध्यान, कायोत्सर्ग, दीर्घ श्वास प्रेक्षा, आसन, प्राणायाम आदि असमय बुढापे में बचाव का सर्वोत्तम उपाय है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास, तेरापंथ महिला मंडल कांकरोली की अध्यक्ष श्रीमती मंजू चोरडिया, श्रीमती नीता बाफना, सम्पत कुमार चोरडिया ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन एवं आभार ज्ञापन महिला मंडल की मंत्री श्रीमती नीता सोनी ने किया।
अनुशासन की महत्ता पर सेमिनार आज : तेरापंथ महिला मंडल कांकरोली की ओर से मुनि तत्वरूचि तरूण के सान्निध्य में विद्या निकेतन माध्यमिक स्कूल में अनुशासन की महत्ता पर बुधवार 18 फरवरी को प्रात: साढे नौ बजे सेमिनार आयोजित किया जाएगा। उक्त जानकारी तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती मंजू चोरडिया ने दी।

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