राजसमन्द। राजसमन्द विधायक एवं भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष किरण माहेष्वरी ने कहा कि सुषासन का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य में सत्ता संभालते ही द्वेषतापूर्ण राजनीति शुरू कर दी है। राजसमन्द जिले में इसका पहला असर मार्बल उद्यमियों पर पडा है। ओवरलोडिंग कार्रवाई के मापदण्ड बदलने से 13 दिन से लोडिंग बंद पडी है।
माहेष्वरी शुक्रवार को राजसमन्द में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि प्रषासनिक ढांचे से लेकर जनहित योजनाओं में राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 13 दिन से लोडिंग बंद है और सरकार राजनीतिक दुष्मनी निकालने के कर रही है। उन्होंने जिला परिवहन अधिकारी को रोजाना चालान बनाने को कह दिया है। इससे पहले साल भर के लिए एक मुष्त राषि जमा करा कर समाधान निकलवाया था। पिछली सरकार में हमने कभी इस तरह की राजनीति नहीं की। माहेष्वरी ने कहा कि गहलोत सरकार ने आते ही ट्रक आॅनर्स एसोसिएषन एवं जिला कटर एसोसिएषन के अध्यक्ष बदलवा दिए लेकिन समस्या का समाधान नहीं कर पाई। माहेष्वरी ने कहा कि जब मार्बल उद्यमी अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए जयपुर गए तो मुख्यमंत्री ने उनसे मिलना भी मुनासिब नहीं समझा।
विधायक माहेष्वरी ने कहा कि वसुंधरा सरकार की योजना गुरु गोलवलकर को इस सरकार ने आते ही बंद कर दिया क्योंकि उनकी योजनाएं तो गांधी के नाम से ही चलती है। जनसहभागिता की इस येाजना के तहत कई गांवों में पैसा एकत्र किया जा चुका है।
माहेष्वरी शुक्रवार को राजसमन्द में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि प्रषासनिक ढांचे से लेकर जनहित योजनाओं में राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 13 दिन से लोडिंग बंद है और सरकार राजनीतिक दुष्मनी निकालने के कर रही है। उन्होंने जिला परिवहन अधिकारी को रोजाना चालान बनाने को कह दिया है। इससे पहले साल भर के लिए एक मुष्त राषि जमा करा कर समाधान निकलवाया था। पिछली सरकार में हमने कभी इस तरह की राजनीति नहीं की। माहेष्वरी ने कहा कि गहलोत सरकार ने आते ही ट्रक आॅनर्स एसोसिएषन एवं जिला कटर एसोसिएषन के अध्यक्ष बदलवा दिए लेकिन समस्या का समाधान नहीं कर पाई। माहेष्वरी ने कहा कि जब मार्बल उद्यमी अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए जयपुर गए तो मुख्यमंत्री ने उनसे मिलना भी मुनासिब नहीं समझा।
विधायक माहेष्वरी ने कहा कि वसुंधरा सरकार की योजना गुरु गोलवलकर को इस सरकार ने आते ही बंद कर दिया क्योंकि उनकी योजनाएं तो गांधी के नाम से ही चलती है। जनसहभागिता की इस येाजना के तहत कई गांवों में पैसा एकत्र किया जा चुका है।
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