Sunday, February 15, 2009

बोझ बनी गाय और बछड़े को छोडऩे आया

राजसमन्द। अर्थ प्रधान युग में व्यक्ति जब तक किसी से अपना स्वार्थ सिद्ध होता है रहता है तब तक उसे सिर आंखो पर बैठाकर रखता है और जी जान से उसकी सेवा में जुटा रहता है। वहीं जब स्वार्थ खत्म होते ही सब कुछ भूल जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ रविवार को शहर के सौ फीट रोड़ पर जहां एक युवक गाय और उसके चार बछडों को छोडकर चुपचाप भाग रहा था लेकिन गौ रक्षा समिति व हिन्दू संगठन ने उसे मौके पर धर दबोचा। वाकया हुआ यूं कि शाम चार बजे सौ फीट रोड पर रकमगढ निवासी लहरूलाल कुमावत एक टेम्पो में गाय व उसके चार बछडे लेकर आया और वहीं छोडने लगा। इसी दौरान वहां से गुजर रहे गौरक्षा समिति के देवनारायण पालीवाल को दाल में कुछ काला नजर आने पर उन्होने लहरूलाल से पूछताछ की तो सामने आया कि गाय दूध नहंी देती जिससे गाय और बछडे का पेट भरना उसके बस में नहीं है। इस बीच सूचना मिलने पर कैलाश निष्कलंक, दिनेश पालीवाल, भूरालाल कुमावत, रामचंद प्रजापत, दिनेश सहित कई लोग मौके पर जमा हो गए। उन्होने युवक को उक्त गायों को गैशाला में छोडने के लिए कहा तो लहरूलाल ने पैसे नहीं होने के बात कहीं। इस पर गौरक्षा सेवा समिति व हिन्दू संगठन के पदाधिकारियों ने सरपंच लक्ष्मण गिरी के मौके पर बुलवा कर लहरूलाल से समझाइश की और गाय व बछडो को वापस रकमगढ ले जाने पर मनाया।

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