राजसमन्द। शिक्षा निदेशालय माध्यमिक शिक्षा ने कम परीक्षा परिणामों का ठिकरा शिक्षकाें पर डालते हुए शिक्षकाें के खिलाफ कार्यवाही का फैसला लिया है। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय की जिला शाखा ने इस पर आपत्ति जताते हुए कडा विरोध किया है। शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रभुगिरी गोस्वामी ने कहा कि खराब नीतियाें पर शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही कत्तई न्यायसंगत नहीं है। सबसे पहले तो विगत लम्बे समय से विद्यालयाें में शिक्षकाें के कई पद रिक्त चले आ रहे हैं। संस्थाप्रधान जैसे तैसे विद्यार्थी मित्राें या अन्य अध्यापकों से जिनके पास उस विषय की विशेष योग्यता नहीं होने के बावजूद भी अपना पाठयक्रम पूरा करवाते हैं। शिक्षकाें पर गैर शैक्षिक कार्यों की मार भी होती इतनी होती हे कि निर्धारित अवधि में पाठयक्रम पूरा करवाने में काफी अडचने आती है, कभी चुनाव तो आए दिन पोषाहार का जंजर ऐसी कई बाधाएं है जो वांटित एवं अच्छा परिणाम देने में बाधक बनती है। फिर यदि विद्यालय में किसी विषय अध्यापक ही नहीं है तो परिणाम न्यून रहना स्वाभाविक है लेकिन उसका नजीता भुगते संस्थाप्रधान यह हर हालत में न्यायसंगत नहीं है। शिक्षक संघ के जिला मंत्री रामचन्द्र पानेरी, संगठन मंत्री गिरिजा शंकर पालीवाल, प्रांतीय मंत्री निरंजन पालीवाल, प्रांतीय उपाध्यक्ष यशोदा दशोरा ने कहा है कि केवल एक ही वर्ष के खराब परीक्षा परिणाम के आधार पर शिक्षकाें को दण्डित किया जाएगा तो संगठन अपना तीव्र आंदोलन छेडेगा। उन्होने कहा कि यदि कोई शिक्षक गैर जिम्मेदार है तथा लगातार तीन या चार वर्षों से उसका खराब परीक्षा परिणाम रहता है तो निस्चय हह्वी वह शिक्षक दोषी है लेकिन यदि शिक्षक नहीं है और खराब नीतियाें का खामियाजा संस्थाप्रधान भुगते यह गैर वाजिब है। शिक्षक संघ के घनश्याम माली, शिवदास वैरागी, मोतीलाल पालीवाल, राजेन्द्र शर्मा, अशोक पालीवाल, हेमसिंह, कालुसिंह, शंकर लाल जाट आदिने शिक्षा निदेशक को पत्र भेजकर शिक्षकाें पर अनुचित दबाव नहीं डाले जाने की मांग की है।
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