Monday, March 9, 2009

राजस्थान साहित्यकार परिषद की मासिक संगोष्ठी

राजसमन्द। राजस्थान साहित्यकार परिषद कांकरोली की मासिक काव्य संगोष्ठी का आयोजन शेख अब्दुल हमीद की अध्यक्षता में सोमवार को गोवर्धन राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नाथद्वारा में किया गया। संगोष्ठी की मेजबानी जवनसिंह सिसोदिया द्वारा की गई। काव्य संगोष्ठी का शुभारंभ मनोहर सिंह आसिया मनमोजी की कविता नारी के माध्यम से किया गया। महिला दिवस पर महिला के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कडकती अजाब, चिलचिलाती धूप में ठण्डी छांव है नारी बतलाया। किशन कबीरा ने कविता चाटनाट तलवे लोगों के जो बडी पदवी जो तुमने पाई के माध्यम से गिरते मानवीय स्तर पर प्रकाश डाला वहीं मजदूर कविता के माध्यम से तरक्की की राह को दिखलाया। नगेन्द्र मेहता ने अपनी कविता के माध्यम से आदमी जीवन भर स्वार्थ के भरोसे जीता है नई संस्कृति उद्घाटन, फीता काटना पर व्यंग्य चलाए। माधव नागदा कहानीकार ने अपनी कहानी खेल के माध्यम से बच्चो द्वारा खेल खेल में बाबरी मस्जिद और शिव मंदिर निर्माण से हिन्दु मुस्लिम भावना को विराम देकर पात्र के माध्यम से बाबरेश्वर महादेव नाम देकर समन्वय बैठाया गया। अफजल खां अफजल ने कविता करोडो, लाखों, हजारों के माध्यम से आंकडों के खेल के माध्यम से मध्यम वर्ग की दयनीयता को दर्शाया है। शेख अब्दुल हमीद ने अपनी चीर परिचित गजल कैसे टूटी उनसे यारी फिर कभी बतलाएंगे चाहिए इश्क उम्र सारी फिर कभी बतलाएंगे प्रस्तुत की। इस अवसर पर जवान सिंह सिसोदिया, राधेश्याम सरावगी मसूदिया, ईश्वर चंद शर्मा, भंवर बोस, इलियास मोहम्मद, कमर मेवाडी आदि ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। अध्यक्षीय उद्बोधन शेख अब्दुल हमीद ने दिया। कार्यक्रम का संयोजन राधेश्याम सरवगी ने किया।

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