Friday, March 13, 2009

आत्मा भगवान भी है, शैतान भी : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि आत्मा भगवान भी है शैतान भी। आत्मा मित्र भी हे शत्रु भी है। जो आत्मा अच्छे कामों में लगी हे वह हमारी दोस्त है और जो खराब कामों में लगी है वह आत्मा हमारी दुश्मन है। हम आत्मा की सद् प्रवृति में नियोजित कर उसे हितकारी व सहयोगी बनाएं। उक्क्त विचार मुनि ने शुक्रवार को तेरापंथ भवन कांकरोली मे श्रावक-श्राविकाओ को सम्बोधित कर रहे थे। उन्हाने कहा आत्मा की उपेक्षा कर आराम की अपेक्षा रखना व्यर्थ है। जीवन में सुख शांति, अमन चैन से तभी रह पाएंगे जब हम आत्मा का चित्त न करेंंगे। मुनि ने कहा कि परमात्मा आत्मा का ही शुद्ध स्वरूप है। कर्म का आवरण शुद्ध स्वरूप के साक्षात्कार में बडी बाधा है। हम धर्म ध्यान के द्वारा कर्म की बाधा को दूर करने की कौशिश करें। प्रेक्षाध्यान धर्म ध्यान का श्रेष्ठ प्रकार है, आत्मा साक्षात्कार का उत्तम उपाय है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास कुमार ने भी विचार व्यक्त किए।
काव्य संगोष्ठी आज : मुनि तत्वरूचि तरूण के सान्निध्य में शनिवार की रात को काव्य संगोष्ठी तथा रविवार की रात को आध्यात्मिक अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता होगी। यह जानकारी तेरापंथ सभा के प्रचार प्रसार प्रभारी श्यामसुन्दर चोरडिया ने दी।

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