राजसमंद। राज्य भर में इस वर्ष कम बारिश और अनिश्चित आगामी मानसून के बावजूद राजसमंद जिले के सूखे कुएं आने वाले समय में अविरल 'गंगा जल' उगलेंगे। कूप के माध्यम से भूजल कृत्रिम पुनर्भरण योजना के प्रति भूमि पुत्रों की बढती ललक ऎसा ही संकेत दे रही है।
राज्य सरकार के भूजल विभाग ने पिछले वर्ष राज्य भर में बादलों से बरसने वाली बूंद-बूंद सहेजने और भूमि की गोद में समाहित करने की योजना बनाई है। जनता के सीधे जुडाव के लिए उन लोगों को माध्यम बनाया गया, जिनके पास गहरे कुएं हैं। कुआं मालिकों ने भी इसे हाथोंहाथ लेना शुरू कर दिया। यही कारण है कि सिर्फ कुछ ही महीनों में पूरे हुए दो चरणों में अकेले राजसमंद जिले के 1603 किसानों ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर अपने दस्तावेज नोडल महकमे जल संसाधन खण्ड को सौंप दिए। आशा से अघिक आवेदनों के कारण विभाग भी इसे अच्छा संकेत मान रहा है।
समझा पानी का मोलसाल-दर-साल अपनी गाढी कमाई का मोटा हिस्सा गंवाने वाले धरती पुत्रों ने पानी का मोल समझते हुए खेत का पानी खेत की सोच को प्राथमिकता दी है।
हाथोंहाथ मिली राशिजल संसाधन खंड ने जिले के धरती पुत्रों से प्राप्त आवेदनों को स्वीकृति के लिए दो चरणों में नाबार्ड को भेज दिए हैं। पिछले महीने 23 जुलाई को 751 व 19 अगस्त को 852 सहित कुल 1603 भेजे गए आवेदनों में से 746 को स्वीकृतियां भी मिल चुकी हंंै। उल्लेखनीय है कि निरंतर गिरते भूजल स्तर को रोकने व भूजल भण्डार में वृद्धि के लिए शुरू की गई यह योजना राजस्थान के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु में भी लागू की गई है।
यह है योजनाकूप पुनर्भरण संरचना के निर्माण के लिए सरकार की ओर से लघु व सीमांत किसानों को प्रति कुआं चार हजार रूपए का अनुदान व अन्य सभी वर्गीकृत कृषकों को दो हजार रूपए अनुदान दिया जाएगा। योजना का लाभ वे सभी भूमि पुत्र उठा सकते हैं जिनके खेत में कुआं हो। गौरतलब है कि बारिश के पानी को खेतों में एकत्र कर कुएं में डालने से न केवल कुएं का जल स्तर बढेगा, वरन आसपास के क्षेत्र व गांव के जल स्तर में भी बढोतरी होगी। इससे गांवों में कृषि पैदावार में वृद्धि, आर्थिक संपन्नता भी बढेगी।
कूप से भूजल कृत्रिम पुनर्भरण योजना के प्रति कुआं मालिकों में खासा उत्साह है। डेढ हजार से अघिक आवेदनों से स्पष्ट है कि अब मानसून का जुआ खेतों पर हावी नहीं हो सकेगा व भूमि पुत्र अल्प वर्षा के बावजूद पूरी पैदावार ले सकेंगे।- गोपाल दाना, अघिशासी अभियंता, जल संसाधन खंड
राज्य सरकार के भूजल विभाग ने पिछले वर्ष राज्य भर में बादलों से बरसने वाली बूंद-बूंद सहेजने और भूमि की गोद में समाहित करने की योजना बनाई है। जनता के सीधे जुडाव के लिए उन लोगों को माध्यम बनाया गया, जिनके पास गहरे कुएं हैं। कुआं मालिकों ने भी इसे हाथोंहाथ लेना शुरू कर दिया। यही कारण है कि सिर्फ कुछ ही महीनों में पूरे हुए दो चरणों में अकेले राजसमंद जिले के 1603 किसानों ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर अपने दस्तावेज नोडल महकमे जल संसाधन खण्ड को सौंप दिए। आशा से अघिक आवेदनों के कारण विभाग भी इसे अच्छा संकेत मान रहा है।
समझा पानी का मोलसाल-दर-साल अपनी गाढी कमाई का मोटा हिस्सा गंवाने वाले धरती पुत्रों ने पानी का मोल समझते हुए खेत का पानी खेत की सोच को प्राथमिकता दी है।
हाथोंहाथ मिली राशिजल संसाधन खंड ने जिले के धरती पुत्रों से प्राप्त आवेदनों को स्वीकृति के लिए दो चरणों में नाबार्ड को भेज दिए हैं। पिछले महीने 23 जुलाई को 751 व 19 अगस्त को 852 सहित कुल 1603 भेजे गए आवेदनों में से 746 को स्वीकृतियां भी मिल चुकी हंंै। उल्लेखनीय है कि निरंतर गिरते भूजल स्तर को रोकने व भूजल भण्डार में वृद्धि के लिए शुरू की गई यह योजना राजस्थान के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु में भी लागू की गई है।
यह है योजनाकूप पुनर्भरण संरचना के निर्माण के लिए सरकार की ओर से लघु व सीमांत किसानों को प्रति कुआं चार हजार रूपए का अनुदान व अन्य सभी वर्गीकृत कृषकों को दो हजार रूपए अनुदान दिया जाएगा। योजना का लाभ वे सभी भूमि पुत्र उठा सकते हैं जिनके खेत में कुआं हो। गौरतलब है कि बारिश के पानी को खेतों में एकत्र कर कुएं में डालने से न केवल कुएं का जल स्तर बढेगा, वरन आसपास के क्षेत्र व गांव के जल स्तर में भी बढोतरी होगी। इससे गांवों में कृषि पैदावार में वृद्धि, आर्थिक संपन्नता भी बढेगी।
कूप से भूजल कृत्रिम पुनर्भरण योजना के प्रति कुआं मालिकों में खासा उत्साह है। डेढ हजार से अघिक आवेदनों से स्पष्ट है कि अब मानसून का जुआ खेतों पर हावी नहीं हो सकेगा व भूमि पुत्र अल्प वर्षा के बावजूद पूरी पैदावार ले सकेंगे।- गोपाल दाना, अघिशासी अभियंता, जल संसाधन खंड