Friday, August 14, 2009

लाम्बोड़ी में प्रेक्षाध्यान शिविर शुरु

राजसमन्द। प्रियता एवं अप्रियता से रहित चेतना को गहराई से देखना ही प्रेक्षाध्यान है और इसका उद्देश्य है कि चित्त की निर्मला को बढ़ाना व हमारे भीतर सोई हुई अनंत शक्ति को जगाना है।
ये विचार मुनि संजय कुमार ने जिले के लाम्बोड़ी गांव में शुक्रवार को श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा लाम्बोड़ी की ओर से आयोजित प्रेक्षाध्यान साधना शिविर के शुभारम्भ के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रेक्षाध्यान पध्दति प्राचीन व वैज्ञानिक है। इसकी प्रामाणिकता के आधार आचार्य महाप्रज्ञ एवं आठ सौ से अधिक निस्वार्थी साधक साधिकाएं है। विश्व की अनेक समस्याओं में तनाव की समस्याएं ध्यान के माध्यम से ही दूर हो सकती है। चित्त और मन की मलीनता से ही विकृतियां बढ़ती है। इसके लिए भीतर के भावों में परिवर्तन जरुरी है। व्यक्ति भीतर से बदलेगा तभी समस्याओं का समाधान होगा। इस अवसर पर मुनि प्रसन्न कुमार ने कहा कि व्यक्ति शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भाग रहा है। व्यवसाय के रूप में योग शिविर लगाने वाले भी इस कारण ही निहाल हो रहे है लेकिन मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य की लोगों को चिंता नहीं है। उसका सही समाधान प्रेक्षाध्यान में विधिवत उपलब्ध है। विलासिता और आराम की जिन्दगी ने कई लोगों की नींद, भूख और शांति खत्म कर दी है।
इस अवसर पर शिशोदा के सरपंच केशुलाल धाकड़ एवं क्षेत्रपाल मंदिर के प्रमुख भोपाजी का स्वागत किया गया। प्रशिक्षक लाजपत दिल्ली, शांतिलाल कोठारी मुम्बई व प्रायोजक अर्जुनलाल सांखला ने मुनिवृन्द सहित कुछ अन्य व्यक्तियों को किट्स वितरण किए।

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