Wednesday, August 19, 2009

मैत्री भाव से आत्मा की पवित्रता : चारित्रप्रभा

राजसमन्द। किसी भी उत्तम पर्व की सार्थकता तभी होती है जब हम अपनी आराधना, प्रार्थना, साधना एवं त्याग-तपस्या से अपने मन को पवित्र और पावन कर पाएं। इसी तरह पर्युषण पर्व हमें प्रेरणा देता है कि अपने अंदर के मेल को बाहर कर दया, करूणा, सहिष्णुता, प्रेम, मानवता, सद्भावना, समस्त जीवाें से मेत्री की भावना को आत्मसात करो। उक्त विचार साध्वी चारित्रप्रभा ने बुधवार को पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन महावीर भवन के प्रवचन हॉल में धर्मप्रेमियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस अवसर पर साध्वी डॉ रचना श्री एवं साध्वी डॉ राजश्री ने गीतिका प्रस्तुत की। सभा में श्री संघ अध्यक्ष गणेशलाल पगारिया, मंत्री देवीलाल हिंगड, पारस देवी हिंगड, लक्ष्मी बोल्या, देवीलाल सुराणा, अशोक हिंगड, भंवरलाल श्रीमाल, कन्हैयालाल पामेचा, बाबूलाल हिंगड आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन मंत्री देवीलाल हिंगड ने किया। इस अवसर पर श्रीमती कमला देवी हिंगड की ओर से प्रभावना वितरित की गई।

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