Friday, August 14, 2009

आत्म शुध्दि का साधन है तप : साध्वी सोमलता

राजसमन्द। तपस्या आत्मशुध्दि का साधन है इससे कर्मो की निर्जरा होती है। आचार्य भिक्षु भी तेरापंथ स्थापना के समय वेला की तपस्या थी। उक्त विचार साध्वी सोमलता ने शुक्रवार को तेरापंथ भवन कांकरोली में सुनिल चोरडिया की नौ की तपस्या के अवसर पर व्यक्त किए। कार्यक्रम का प्रारंभ श्रीमती संतोष चोरडिया के मंगलाचरण से हुआ। इस अवसर पर अनिता चौधरी सूरत, सम्पतलाल चोरडिया, मधु चोरडिया, कमलेश बोहरा, चन्द्रप्रकाश चोरडिया, सुखलाल वागरेचा आदि ने विचार व्यक्त करते हुए तपस्वी का स्वागत किया। मदनलाल धोका ने बताया कि तपस्वी को तेरापंथ सभा कांकरोली, मेवाड कान्फ्रेंस द्वारा साहित्य प्रदान किया गया एवं महिला मंडल अध्यक्ष मन्जू सामरा ने साहित्य द्वारा तपस्वी का स्वागत किया।

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