Monday, August 31, 2009

छोगाला छैल की जय हो ...

चारभुजा। मेवाड के तीर्थ व लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र चारभुजा (गढबोर) में सोमवार को जलझूलनी मेले के अवसर पर श्रद्धा का ज्वार उमड पडा। ऎतिहासिक जलझूलनी मेले के अवसर पर चारभुजानाथ की ठाठ-बाट से शोभायात्रा निकाली गई। भगवान को परम्परागत तरीके से दूध तलाई में पवित्र स्नान कराया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने प्रभु स्नान के इस अनुपम दृश्य को निहारा। इस दौरान धर्मनगरी गुलाल और अबीर की छटा से सराबोर हो गई। मेवाड के इस निराले जलझूलनी मेले में इस बार लगभग एक लाख श्रद्धालु आए।
सुबह पांच बजे भगवान चारभुजा की मंगला आरती के दर्शन खुले तो दर्शनों को एक किलोमीटर लम्बी लाइनें लग गईं। मंगला के बाद साढे आठ बजे श्ृंगार के दर्शन व साढे 11 बजे भोग आरती हुई। बाद में पुजारियों ने भगवान की बाल प्रतिमा को श्ृंगारित करवा कर सोने की पालकी में विराजित कराया। दोपहर 12 बजे मंदिर प्रांगण से दूधतलाई के लिए निकली शोभायात्रा में पुजारी हाथ में सोने, चांदी के बल्लम, तलवारें, सूरज-चांद के निशान लिए खम्मा घणी के जयकारे के साथ नृत्य करते हुए मंदिर चौक में आए। सोने व चांदी की पालकी में श्ृंगारित भगवान चतुर्भुज की बाल प्रतिमा के दर्शनों के लिए बेकरार जनसमूह ने दर्शन कर छोगाला छैल की जय हो... प्रभु आपकी जय हो... के जयकारे लगाए। शोभायात्रा में सबसे आगे चारभुजा का बेवाण, इसके बाद हाथी की सवारी, उसके पीछे ऊंट पर सवार थे।
बैण्डबाजों व शहनाइयों की मधुर स्वर लहरियों के बीच निकली शोभायात्रा में सैकडों पुजारी पारम्परिक वेशभूषा में भगवान के प्रहरी बन कर चल रहे थे। वहीं श्रद्धालु भगवान की पालकी के आगे चारभुजानाथ के जयकारे के साथ नृत्य करते हुए चल रहे थे। मार्ग में श्रद्धालुओं ने जम कर अबीर-गुलाल उडाई जिससे धर्मनगरी की सडकें गुलाबी व लाल रंग में रंग गई। बेवाण छतरी चौक पहंुचने पर भगवान को अमल का भोग लगाया गया। मार्ग में मकानों की छतों व झरोखों से श्रद्धालुओं ने बेवाण पर पुष्पवर्षा की। जैसे ही शोभायात्रा दूध तलाई पहंुची, भगवान को पवित्र स्नान करवाने के लिए लोगों में होड मच गई और लोगों ने प्रभु विग्रह को पानी के छींटे देकर स्नान करवाया। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने प्रभु स्नान के इन मनोहारी दर्शनों का आंनद ले कर अपने जीवन को धन्य माना।
पुजारियों ने प्रतिमा को केवडे के फूल में लपेट कर दूध तलाई की परिक्रमा करवाई। दूध तलाई की छतरी पर झीलवाडा ठिकाना से दौलतसिंह सोलंकी व परिजनों ने भगवान को अमल का भोग लगाया। परिक्रमा पूरी होने पर पुजारियों ने नए आभूषणों व वस्त्रों से शृंगारित चांदी की पालकी में विराजित प्रभु के भजन कीर्तन किए व निज मंदिर के लिए प्रस्थान किया। ठीक शाम पांच बजे पुन: निज मंदिर पहंुचे जहां आरती के साथ गर्भ गृह में प्रतिस्थापित कराया गया। व्यापक सुरक्षा इंतजाम
मेले की व्यवस्था को लेकर मेला प्रभारी हिम्मतसिंह बारहठ, जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वासुदेव भट्ट, तहसीलदार घनश्याम दवे व थाना प्रभारी भैरूसिंह उपस्थित थे।
श्रद्धालु सराबोर, सडकें लालधर्मनगरी चारभुजा में हर कोई लाल रंगत में नजर आ रहा था। पूरी सडकें लाल रंग में रंग गई। श्रद्धालु अबीर गुलाल से सराबोर दिखे।
फलाहार व शीतल पेय की नि:शुल्क व्यवस्थाश्रद्धालुओं के लिए भक्तजनों ने जगह-जगह फलाहार व शीतल पेय की नि:शुल्क व्यवस्था की। माहेश्वरी समाज इन्दौर, उज्ौन, धार, राजसमंद, भीलवाडा व पहंुना वालों की ओर से रास्ते में नींबू शरबत, लस्सी, केले, फलाहार तथा शीतल पेय की व्यवस्था की।
गूंजते रहे जयकारे जलझूलनी एकादशी के अवसर पर धर्मनगरी में दिन भर रेलपेल बनी रही। समूचा परिवेश भगवान चारभुजानाथ के जयकारों से गूंजता रहा। बस स्टैण्ड से मंदिर चौक व दूध तलाई तक जातरूओं की रेलपेल बनी रही।
यातायात व्यवस्था रही बाघितवाहनों की पार्किग व्यवस्था होने के बावजूद भी निश्चित स्थान पर ठहराव नहीं होने से यातायात अवरूद्ध रहा।
लगे डोलर व झूलेमेलार्थियों के मनोरंजन के लिए दूधतलाई पर डोलर, चकरी व झूले लगाए गए जिनका श्रद्धालुओं ने खूब लुत्फ लिया।

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