Wednesday, August 19, 2009

समता की साधना का अभ्यास ही सामायिक: मुनि सुरेश कुमार

राजसमन्द। पर्युषण पर्व के तीसरे दिन सामायिक दिवस के अवसर पर भिक्षु बोधिस्थल राजनगर में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि सुरेशकुमार हरनावा ने कहा कि सिर्फ 48 मिनट तक मुखवस्त्रिका लगाकर बैठना ही सामायिक नहीं है वरन अर्न्तमुहूर्त तक समता की साधना का अभ्यास करना ही सामायिक है।
उन्होंने कहा कि लाखों टन सोने की चट्टानें खड़ी कर दी जाए तो भी एक सामायिक की तुलना नामुमकिन नहीं है। मुनि प्रवर का मानना था कि जिस तरह आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक दवाईयों को लेने के बाद परहेज निहायत जरुरी है, ठीक उसी तरह एक सामायिक की साधना के बाद दिन भर सहिष्णुता, समता एवं सद्भावना का परहेज जरुरी है। सामायिक के फायदे के बारे में मुनि ने एक सामायिक गीत प्रस्तुत करते हुए कहा कि सामायिक महज साधना पध्दति ही नहीं है बल्कि मन की खूबसूरती को संवारने का एक महान उपक्रम है।
मुनि सम्बोध कुमार ने कहा कि जिन्दगी के सफर में कामयाबी व नाकामी संकल्प की बदौलत ही मिलती है। जो लोग हालातों के सामने अपने अपने हौंसलों को पस्त कर बैठते है, विचारों को बदल डालते है, कामयाबी उनका दामन कभी नहीं थामती। पर्युषण पर्व संकल्प को मजबूती देने का सुनहरा मौका है।

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