Monday, August 17, 2009

विदेशी धरती पर कार्यरत आनन्द मार्ग के केन्द्रीय प्रशिक्षक राजसमन्द में

राजसमन्द। आध्यात्मिक पुन: जागरण अभ्युद अभियान के तहत् रविवार को नंदवाना समाज नोहरा में विदेशी धरती पर कार्यरत आनंद मार्ग केन्द्रीय प्रशिक्षक आचार्य नित्या शुध्दानंद अवधूत ने कहा कि परम पुरूष की असीम कृपा से चोरासी लाख योनियों में भटकते रहने के बाद हमें यह अनमोल मानव शरीर मिला है इसको पाकर जो मनुष्य परमपुरूष में मन लगाकर साधना करता है उसका ही मनुष्य जीवन सार्थक है। यहां की यह चमक-दमक, भोग-विलास, उचित-अनुचित तरीकों से धन इकट्टा किया यह सब कितने दिनों तक रहेगा। जब संत समझाते है तो लोग कहते है क्या करे ? कार्य से फूर्सत ही नहीं मिलती पर जब एक दिन जब काल उठा ले जाएगा तब सभी कार्य यूहीं धरे रह जाएगें। इस नाशवान भोगों के पिछे ना पड़े रहो क्योंकि एक दिन ऐसा आयेगा सब यहीं छोड़कर जाना पडेग़ा जिनकों सबसे अधिक प्यार करते है वे ही तुम्हे प्राण निकलने के बाद जला डालेंगे। आध्यात्मिक पथ का अनुसरण करने पर शास्त्र सम्मत स्वाभाविक सत्कर्म करते हुए ही भगवत प्राप्ति रूप परम सिध्दी को प्राप्त कर सकता है। इस अमूल्य जीवन के मन की गति को जड़ से हटा कर परम पुरूष की ओर मोड़ ले बस फिर काम बन जाएगा। इस क्षणभंगुर संसार में भी अमरता पाना संभव है।
अवधूत के निर्देशन में सभी ने सामूहिक साधना की कार्यक्रम में आचार्य गोपमयानंद अवधूत, आचार्य शुभ्रा, डॉ. विजय खिलनानी, रामा नंदवाना, महेश पटेल, डिम्पल, टिविंक्ल, रीना, नवनीत, रामू आदि उपस्थित थे।

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