Monday, August 17, 2009

तपे बिना प्रकाश नहीं : साध्वी सोमलता

राजसमन्द। भारतीय संस्कृति में पर्व, उत्सव, त्यौहार आदि की लम्बी श्रंखला है। पर्युषण पर्व उसी श्रंखला की एक कडी है पर इसका स्वरूप अन्य पर्वों से सर्वथा भिन्नहै। उक्त विचार साध्वी सोमलता ने सोमवार को नव निर्मित तरापंथ भवन प्रज्ञा विहार में पर्युषण पर्व के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किए। उन्होने कहा पर्युषण महापर्व की प्रेरणा बाहर से भीतर की ओर मुडने का शंखनाद है। इस अवसर पर प्रत्येक भाई बहन को तेले का तप तो अनिवार्य रूप से करना चाहिए। क्याकि तपे बिना पकाश नहीं होता और खपे बिना विकास नहीं होता। इस अवसर पर शकुन्तला कुमारी, प्रेक्षा, कान्तयशा, संचितयशा ने भी विचार व्यक्त किए।

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