Tuesday, August 18, 2009

सफलता का द्वार स्वाध्याय : साध्वी सोमलता

राजसमन्द। स्वाध्याय सम्राट आचार्य महाप्रज्ञ की विदुषी शिष्या साध्वी सोमलता ने स्वाध्याय दिवस पर तेरापंथ सभा कांरोली में आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन को आनन्दित और दीप्तिमान बनाने के तीन उपाय है सुविचार, सत्संगति और सत्साहित्य का वाचन। सदग्रंथों का अध्ययन करने से मन व बुध्दि के विकार मिटते है। चित्त की निर्मलता बढती है। उन्होने कहा आज के राजनेता, समाज सुधार के ठेकेदार यदि अच्छी पुस्तकाें का अध्ययन करे तो देश की तस्वीर बदल सकते हैं। क्याेंकि श्रेष्ठ पुस्तकाें के वाचन से सकारात्मक विचार पैदा होते है और इन्हीं से तमाम सफलताओं के द्वार खुलते हैं। साध्वी ने कहा पर्युषण पर्व में विशेष रूप से महापुरूषो के जीवन चरित्र का वाचन होता है। इस अवसर पर साध्वी शकुन्तला कुमारी, साध्वी प्रेक्षा व साध्वी संचित यशा ने स्वाध्याय पर गीत प्रस्तुत किया। साध्वी कांतयशा ने स्वाध्याय दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला। सभा मंत्री प्रकाश सोनी ने बताया कि 19 अगस्त को सामायिक दिवस मनाया जाएगा व रात्रि में कन्या मंडल द्वारा इन्द्रधनुषीय कार्यक्रम का आयोजन होगा।

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