Monday, August 24, 2009

चंद्रावली के उत्सव में सुशोभित श्याम

राजसमन्द। नगर के वैष्णव मंदिरों में सोमवार को राधा-कृष्ण की अनन्य सखी चंद्रावली के उत्सव भाव की रंगारंग सेवाएं धरा कर शृंगारिक भाव रचा गया। श्रीजी व लालन सहित विट्ठलनाथजी के युगल स्वरूप व मदनमोहनजी के मंदिरों में सखी के उत्सव भाव की सेवाएं धरा कर राधा अष्टमी की बधाइयां गुंजारित हुइंü। श्ृंगार की झांकी में गोवर्घनधारी को पीत वस्त्र में नीले हांसिये से रूपांकित दुरंगी पिछौडा, श्रीमस्तक पर पाग संग कूल्हे की चमकदार जोड धरा कर कर्ण कुण्डल एवं फि रोजा के आभरण धराए गए। लाल ठाडे वस्त्र के साथ वनमाला का भारी श्ृंगार सुशोभित कर झांकी सजी। ठाकुरजी की कन्दराखण्ड के संग नीले हासिये की पीठ पिछवई सुसज्जित कर बाल भाव रचा गया। ग्वाल की झांकी के समय लाडले लालन को पत्र पुष्प के पलने में बाल भाव की सेवाएं धराई गईं।

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