राजसमन्द। भिक्षु बोधि स्थल में सोमवार को इतिहास का एक अध्याय तब लिखा गया जब प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ के शिष्य मुनि सुरेश कुमार हरनावा के सान्निध्य में श्रीमती कैलाशदेवी पत्नी ज्ञानमल मादरेचा के सिध्दी तप, ज्ञानमल मादरेचा, चेतना धोका, श्रीमती लीला बड़ाला के अठाई तप के उपलक्ष्य में तप अभिनंदन समारोह आयोजित हुआ।पर्युषण पर्व के पूर्व दिवस पर आयोजित तपोभिनंदन समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि जीवन में कभी कभी ऐसे अवसर आते है जब अरमानों के पंख लगते है और सपने सच हो जाते है। मुनि ने कहा कि वे लोग विरले ही होते है जो शोहरत व आडम्बर से दूर आत्मशोधन के मकसद को सामने रखकर तपस्या करते है। मुनि ने तपस्वियों के प्रति आध्यात्मिक मंगल कामनाएं करते हुए भावपूर्ण गीत पेश किया। मुनि सम्बोध कुमार ने कहा कि जिन्दगी की आधी मुसीबतें बेकाबू कामनाओं से पैदा होती है। उत्साह की एक किरण ही तपस्या जैसी नामुमकिन लगने वाली चीझ को भी मुमकिन में बदल देती है। मुनि ने कहा कि विलासिता के दौर में तपस्या की साधना एक मिसाल है। तेरापंथ महिला मण्डल के समूह गीत के साथ शुरु हुए समारोह में भिक्षु कन्या मण्डल, स्वाति मादरेचा, विनोद बड़ाला, भाविका मादरेचा, हिम्मत धोका, मनोहर धोका, मादरेचा परिवार, महिला मण्डल अध्यक्ष मंजु बड़ोला, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री भूपेश धोका, भिक्षु बोधि स्थल अध्यक्ष गणपत धर्मावत, जिनेश कावड़िया, मदन धोका, ज्ञानमल मादरेचा, अशोक डूंगरवाल सहित कई वक्ताओं ने विचारों व गीतों से तपस्वियों का अभिनंदन किया। आभार व संचालन बोधि स्थल मंत्री मांगीलाल मादरेचा ने किया।
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