राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण के सान्निध्य में कांकरोली तेरापंथ भवन में आचार्य तुलसी की पुण्यतिथी पर गुरूवार रात को तुलसी संगीत संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें भिक्षु भजन मंडल, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ सभा, ज्ञानशाला आदि के गायको ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत संध्या में मुनि तत्वरूचि ने जपें हम तुूलसी-तुलसी नाम, तुलसी मेरे राम .. , मुनि भवभूति ने यह है जगने की वेला ..., मुनि विकास ने मन तुलसी गायेजा ... विनोद कुमार बडाला, चन्द्रेश मेहता ने सामुहिक प्रस्तुति में संघ को हिमालय सी तूने दी ऊंचाई .. , मुनि कोमल कुमार, मांगीलाल सामर, मिश्रीलाल बोहरा, श्रीमती ज्योत्सना पोकरना, नीता सोनी, निहिका-सुरभि जैन आदि ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर अर्जुनलाल पोकरना, चन्द्रप्रकाश सोनी, अवनीश पोकरना, दीपिका पोकरना आदि उपस्थित थे।
स्थान मत बदलो, स्वभाव बदलों : मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि जहां कहीं स्वभाव को लेकर असामंजस्य की स्थिति आती है वहां आदमी के दीमाग में उस स्थिति से निपटने का सीधा रास्ता व्यक्ति या स्थान को बदलने का आता है। यह समाधान तात्कालीक हो सकता है लेकिन स्थायी नहीं। स्थायी समाधान के लिए उन्होने कहा स्थान को मत बदलों स्वभाव को बदलों। उक्त विचार मुनि ने शुक्रवार को कांकरोली के तेरापंथ भवन में स्वस्थ जीवन शैली व्याख्यानमाला का प्रारंभ करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा स्वभाव पर चिंतन का गहरा प्रभाव पडता है। हम अपने स्वभाव को स्वस्थ बनाने के लिए सम्यक चिंतन करें। मुनि ने कहा चिंतन सुधरे तो जीवन संवरे और निखरे। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल और मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
स्थान मत बदलो, स्वभाव बदलों : मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि जहां कहीं स्वभाव को लेकर असामंजस्य की स्थिति आती है वहां आदमी के दीमाग में उस स्थिति से निपटने का सीधा रास्ता व्यक्ति या स्थान को बदलने का आता है। यह समाधान तात्कालीक हो सकता है लेकिन स्थायी नहीं। स्थायी समाधान के लिए उन्होने कहा स्थान को मत बदलों स्वभाव को बदलों। उक्त विचार मुनि ने शुक्रवार को कांकरोली के तेरापंथ भवन में स्वस्थ जीवन शैली व्याख्यानमाला का प्रारंभ करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा स्वभाव पर चिंतन का गहरा प्रभाव पडता है। हम अपने स्वभाव को स्वस्थ बनाने के लिए सम्यक चिंतन करें। मुनि ने कहा चिंतन सुधरे तो जीवन संवरे और निखरे। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल और मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
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