Saturday, February 14, 2009

संयम सुख और असंयम दु:ख है: मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि संयम सुख और असंयम दु:ख है। सुख्ख व शांति के लिए इच्छा, आकांक्षा पर अंकुश जरूरी है। उन्होने कहा कि जीवन की अवधि सीमित है उसमें असीम इच्छाओं की पूर्ति संभव नहीं। अधूरी अच्छा और भावनाएं मन में बेचैनी पैदा करती है। इसलिए इच्छा संयम ही सुख की संजीवनी है। उक्त विचार मुनि ने तेरापंथ भवन कांकरोली में प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। उन्होने कहा कि पेट भरना संयम किन्तु पैटी भरना कठिन है। क्योंकि शरीर की इच्छाएं तो सीमित है लेकिन मन की इच्छाओं का कोई पार नहीं। इसलिए हम इच्छाओ का विवेक कर अनावश्यक इच्छाओ को दफना दें। इस अवसर पर मुनि भवभूति एवं मुनि कोमल कुमार ने जीवन में धर्म की उपयोगिता पर विचार व्यक्त किए। मुनि विकास ने आध्यात्मिक गीत का संगान किया।
एक शाम महावीर के नाम : तेरापंथ भवन कांकरोली में रविवार रात्रि को मुनि तत्वरूचि तरूण के सान्निध्य में एक शाम महावीर के नाम भक्ति संध्या का आयोजन किया जाएगा। तेयुप अध्यक्ष प्रमोद कुमार सोनी ने बताया कि महावीर भक्ति संध्या का कार्यक्रम रविवार रात्रि को सवा आई बजे से साढे नौ बजे तक चलेगा। जिसमें भिक्षु भजन मंडली, महिला मंडल एवं बाल गीतकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
संतो का मिलन : तेरापंथ भवन कांकरोली में प्रवासित मुनि तत्वरूचि का साध्वी लक्ष्मी कुमार, साध्वी सज्जन, साध्वी नियति प्रभा से आध्यात्मिक मिलन हुआ। इस अवसर पर मुनि कोमल कुमार, मुनि विकास, मदनलाल चंडालिया, लादूलाल बोर्दिया, महेन्द्र कुमार पगारिया आदि उपस्थित थे।

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