Monday, February 2, 2009

मर्यादा के विघटन से पैदा हो रही है समस्याएं : मुनि शुभकरण

राजसमन्द। वर्तमान में व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र की मर्यादाएं विघटित होती हो रही है जिनके कारण अनेक समस्याएं पैदा हो रही है। व्यक्ति यदि वाणी संयम एवं मन का संयम रखे तो आए दिन जो लडाई झगडे होते हैं उनसे बचा जा सकता है। यह विचार धानीन स्थित सम्बोधि उपवन परिसर मेें आयोजित 145 वें मर्यादा महोत्सव समारोह में ध्यानयोगी मुनि शुभकरण ने व्यक्त किए। समारोह के मुख्य अतिथि कुम्भलगढ विधायक गणेश सिंह परमार थे, अध्यक्षता ट्रस्ट मंडल अध्यक्ष पूर्णचन्द बडाला ने की। वहीं विशिष्ट अतिथि जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके एवं शिक्षाविद् यमुनाशंकर दशोरा थे। मु़नि शुभकरण ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने समय की परिस्थितियों को देखते हुए मर्यादाएं स्थापित की जो वर्तमान में प्रासंगिक हो गई है। हम अपने आपको देखें एवं अनुशासन में रहने का प्रयोग करें। जो व्यक्ति स्वयं मर्यादित होते है उन्हें कहीं भी परेशानी नहीं होती है। मुख्य अतिथि परमार ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति सही आचरण करें एवं मर्यादाओं को नहीं लांघे तो राष्ट्र उन्नति के पथ पर अग्रसर होता रहेगा। मर्यादा एक ऐसा बंधन है जिनमें रहते हुए सभी का कल्याण सम्भव है। पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने कहा कि कानून का अर्थ मर्यादा की पालना ही है। मर्यादित जीवन जीने वाले व्यक्ति को स्वयं का भी कोई कष्ट नहीं होता है एवं नहीं किसी अन्य को कष्ट देता है। मुनि सिद्धार्थ कुमार ने मर्यादा मंगल है, मंगल है अनुशासन गीतिका प्रस्तुत की। इस अवसर पर ट्रस्ट मंडल अध्यक्ष पूर्णचन्द्र बडाला, शिक्षाविद् यमुनाशंकर दशोरा, भंवरलाल कोठारी, महेन्द्र कोठारी कांकरोली, श्रीमती लीला धोका, प्रेमा, मिठूदेवी, चतुर कोठारी, गणपतलाल बोहरा ने भी विचार व्यक्त किए। समारोह में बाबूलाल राठौड, सोहनलाल मांडोत, विनोद सोनी, ख्यालीलाल कोठारी, हस्तीमल चण्डालिया, राजकुमार दक, धर्मचन्द खाब्या, सुरेश कावडिया, श्यामसुन्दर चोरडिया, घनश्याम तलेसरा, लालसिंह परमार, डॉ मदनलाल सोनी, बलवंत मांडोत, हरकलाल बडाला, महेश उपाध्याय, प्रकाश कोठारी, मांगीलाल बडाला सहित राजनगर, कांकरोली, केलवा, आमेट, देवगढ, चारभुजा, धानीन, लाम्बोडी, दिवेर क्षेत्र के श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। संयोजन शिक्षाविद् चतुर कोठारी ने किया।

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