राजसमन्द। श्री द्वारकेश राष्ट्रीय साहित्य परिषद कांकरोली एवं राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में श्री बालकृष्ण विद्या भवन कांकरोली में आयोजित संगीता समारोह में कलाकारों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभा कक्ष मेें जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके, श्रीनाथ जी के बडे मुखिया नरहरि ठक्कर, रमण ज्योतिषाचार्य पं. रामचन्द्र बागोरा, मंदिर अधिकारी भगवतीलाल पालीवाल, मंदिर मुखिया प्रदीप सांचीहर, श्री द्वारकेश राष्ट्रीय तैराकी संघ के अध्यक्ष विनोद सनाढ्य, संस्था के संचालक फतहलाल गुर्जर अनोखा व अध्यक्ष अरूणकान्त सांचीहर तथा राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी जयपुर के सचिव बि_ल पारिख के आतिथ्य मे हवेली संगीत कार्यक्रम में रात भर श्रोताओ को बांधे रखा। इस अवसर पर छात्रा प्रार्थना पुरोहित व प्रतिक्षा पुरोहित का सम्मान किया गया। संस्था के दुर्गाशंकर मधु, सूर्य प्रकाश दीक्षित, ललित पालीवाल, डॉ रचना तैलंग, सोहनप्रकाश भीम, किशन धीरज, पीरदान आरजू, गोविन्द औदिच्य, कमलचन्द कमल ने अतिथियों का इकलाई, शाल एवं प्रभु प्रसाद से सम्मान किया। अतिथियों ने मां सरस्वती की तस्वीर पर दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया। फतहलाल गुर्जर अनोखा ने शब्द सुमनों से अतिथियों का स्वागत किया तथा बिट्ठल पारिख ने ब्रज भाषा में सरस्वती वंदना तथा ब्रजराज की वंदना जय ब्रज राज राग इस सागर जय जय हे ब्रज भूमि रचना प्रस्तुत की। हवेली संगीत प्रस्तुति में श्री द्वारकाधीश प्रभु के कीर्तनकार कमल नयन सनाढ्य ने चलो कांकरोली ग्राम री, सुहावनों बसन्त आयो, से श्रीगणेश किया। नाथद्वारा के संगीतज्ञ मिश्रीप्रसाद ने और राग सब भय बराती, दूल्हे राग बसंत गाकर वाह वाही लूटी। नाथद्वारा के ही बडे लाला ने नवजिया वैद्य क्या देखे, मुझे दिल की बीमारी है ब्रह्मानन्द का कीर्तन प्रस्तुत किया। राधाकृष्ण महाकाली ने सुन सखी सपने में श्याम आ गया। रिदम में प्रस्तुत की। नाथद्वारा की ही दो छात्राओं ने राग वृन्दावनी में ध्रुवपद श्याम रटत, कृष्ण रटत, प्रस्तुत किया। पं. जमना प्रसाद पंवार ने छुनक श्याम की पैजनियां, भक्त सूरदास का कीर्तन प्रस्तुत किया। राजेश तैलंग का बांसुरी वादन एवं दिलीप फडके ने सितार पर धुने सुनाकर श्रोताओ को तानसेन की तान का आभास करा दिया। डॉ केडी पुरोहित ने सूरदास पद मोसो कौन कुटिल प्रस्तुत किया।
अतिथियों ने कांकरोली, नाथद्वारा की संस्कृति हवेली संगीत की रक्षा के लिए ऐसे कार्यक्रमों की उपादेयता पर प्रकाश डाला। संयोजन मनोहर गिरी गोस्वामी ने किया व आभार दुर्गाशंकर मधु ने व्यक्त किया।
Tuesday, February 3, 2009
हवेली संगीत समारोह में झूम उठे श्रोता
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