राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि अधीरता में समस्या सुलझने की बजाय उलझने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए जीवन में अधीरता को छोड धैर्य को धारण करें। वास्तव में धैर्यवान को ही सही समाधान मिलता है। यह विचार मुनि ने मंगलवार को भिक्षु बोधिस्थल में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा जीवन में कभी प्रियता तो कभी अप्रियता की स्थिति आती है। धैर्यवान को चाहिए कि वह दोनो ही स्थितियों में सम रहने का अभ्यास करें। अनुकूलता अथवा प्रतिकुल परिस्थितियों चाहे कैसे भी हो, सफलता के लिए संतुलन की अपेक्षा है। मुनि ने कहा कि जिसमें धैर्य, सहिष्णुता, शंाति और समता है उसे समस्या दुखी नहीं बना सकती है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
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