Thursday, August 6, 2009

गंदगी को पवित्रता में बदलने के मकसद से तपस्या करें : मुनि सुरेश कुमार

राजसमन्द। व्यक्ति के भूखे रहने मात्र से तपस्या नहीं होती। हम आत्मा को साधना एवं विचारों की गदंगी को पवित्रता में बदलने के मकसद से तपस्या करे, यही सार्थकता होगी। तपस्या के साथ राग-द्वेष के ऊंचे उठते ग्राफ को नीचे लाने के लिए स्वाध्याय, जप ओर ध्यान के प्रयोग किए जाए तो सोने में महक जैसी बात हो जाती है।
यह विचार भिक्षु बोधि स्थल प्रांगण में मुनि सुरेश कुमार हरनावां ने श्रीमती मीना वागरेचा, डिम्पल कावडिया एवं सारिका वागरेचा के आठ उपवास की तपस्या के उपलक्ष्य में आयोजित तप अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए। मुनि ने गीतिका द्वारा तप की महत्ता पर प्रकाश डाला। मुनि सम्बोध कुमार ने कहा कि यह भ्रांति मात्र है कि तपस्या से कमजोरी आती है जबकि वास्तविकता यह है कि इससे व्यक्ति का न केवल मनोबल बढ़ता है अपितु उसकी रोग प्रतिरोधक शक्ति का भी विकास होता है। उन्होंने कहा कि दिल में दृढ़ संकल्प के साथ कुछ कर गुजरने की ख्वाईश है तो दुनिया में कोई भी नामुमकिन नहीं है। कन्या मण्डल की सदस्याओं द्वारा गीत प्रस्तुति से प्रारंभ समारोह के मुख्य अतिथि ख्यालीलाल मादरेचा, बोधि स्थल अध्यक्ष गणपत धर्मावत, तेरापंथ युवक परिषद, मंत्री भूपेश धोका, तेरापंथ महिला मण्डल अध्यक्ष लाड मेहता ने तपस्वियों का साहित्य व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर अभिनंदन किया। समारोह में श्रीमती पुष्पा वागरेचा, महेन्द्र कावडिया, किशन वागरेचा, राहुल कावडिया, भावेश वागरेचा, प्रियंका जैन, अर्जुनलाल सोलंकी, श्रीमती अंजना सिंघवी ने गीत एवं विचार अभिव्यक्त कर मंगल कामनाएं प्रस्तुत की।
तपस्या का संकल्प : तप अभिनंदन समारोह में तपस्या से तपस्वियों का अभिनंदन के क्रम में तपस्विनी श्रीमती मीना वागरेचा का श्रीमती पुष्प वागरेचा, सारिका वागरेचा का श्रीमती मिट्ठूदेवी कावडिया व डिम्पल कावडिया का श्रीमती मनोहर देवी कावडिया ने पांच उपवास की तपस्या संकल्प के साथ साहित्य प्रदान कर अभिनंदन किया।

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