राजसमन्द। आनन्द मार्ग के साधको ने बुधवार को नन्दवाना समाज नोहरा में श्रावणी पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया। आचार्य शुभ्रा ने योगेश्वर श्रीकृष्ण की महिमा में प्रभात संगीत गाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तीन घंटे तक अखण्ड कीर्तन बाबा नाम केवलम का जाप करके साधक आनन्दमग्न हो गए। साधना के उपरान्त साधकों को सम्बोधित करते हुए आचार्य गोपमयानन्द अवधूत ने कहा कि आज के दिन श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर आनन्द मूर्ति ने कलकत्ता के काशीमित्ता घाट पर गंगा किनारे कालीचरण डकैत को प्रथम दीक्षा देकर उसे कालिकानन्द अवधूत बनाया। उस समय आनन्दमूर्ति की उम्र 18 वर्ष थी एवं वे कलकत्ता कॉलेज के छात्र थे। आनन्दमार्ग मुक्ति प्रधान डॉ विजय कुमार खिलनानी ने कहा कि नियमित रूप से साधना का अभ्यास करने पर ही साधक निष्ठावान, यम-नियम में प्रतिष्ठित, तेजस्वी एवं तत्वदर्शन को समझने वाले तथा दूसरों को तत्वदर्शन समझाने के योग्य बन जाते हैं। यम-नियम के आचरण से ही आदर्श मानवता व्यवहार से प्रकट होती है। हम जो कुछ कहना चाहते हैं उसे पहले स्वयं आचरण कर दिखाएं। इस अवसर पर अवधूतिका आनन्दमधुमया, ब्रजेन्द्रपाल सिंह, रमा नन्दवाना, महेश पटेल, सुबोध मालवीय, डॉ पुष्पा खिलनानी, मधु, चेतन, कौशिकी व कई छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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