राजसमन्द। लोग भले अपने से सम्बन्धित विभाग के बारे में भूल जाए मगर मवेशियों व जीव जंतु को याद रहता है कि उनका कौनसा विभाग है और किस अधिकारी की बात को तवजो दी जानी चाहिए। ऐसा ही कुछ वाकया हुआ ग्राम पंचायत मुण्डोल के गांव गोवल्या मादडी में।
हुआं यू कि तीन दिन पूर्व गोवल्या मादडी गांव में एक भैंसा 15 फीट ऊंचे मकान की छत पर चढ़ गया और वहीं बैठा रहा। भैंसे को छत पर देख कर स्थानीय लोगों ने भरसक प्रयास किए लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी। ग्रामीणों ने भैंसे को उतारने के लिए देवी-देवताओं से भी मन्नत मांग ली। निराश ग्रामीणों ने वन विभाग से सम्पर्क किया तो उन्होंने भैंसे को वन्यजीव मानने से इनकार करते हुए कहा कि कोई शेर चीता हो तो पकड़ने की जुगत कर सकते है। भैंसा हमारे विभाग में नहीं आता है। इस पर ग्रामीणों ने पंचायत समिति प्रधान गणेशलाल से सम्पर्क किया। प्रधान ने इस सम्बन्ध में पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉ. घनश्याम भाई मुरोडिया से सम्पर्क कर समस्या के निदान के लिए कहा।
इस पर डॉ. घनश्याम भाई मुरोडिया अपने दल डॉ. जगदीश जीनगर, रायसन लाल डामोर, दिनेश सिंह के साथ उक्त मकान की छत पर चढे। पशुपालन विभाग दल को देख कर भैंसे का उग्र स्वभाव काफूर हो गया और उसने पशुपालन विभाग कर्मचारियों की ओर से डाले गए चारे को चाव से खाया। इसके उपरांत जब डॉ. घनश्याम भाई मुरोडिया ने भैंसे के गले में रस्सी बांधी तब भी कोई प्रतिरोध नहीं किया और वह आराम से सीढ़ियां उतर कर मकान के नीचे आ गया। भैंसे के नीचे उतरते ही ग्रामीणों ने आतिशबाजी कर प्रसन्नता जाहिर की।
हुआं यू कि तीन दिन पूर्व गोवल्या मादडी गांव में एक भैंसा 15 फीट ऊंचे मकान की छत पर चढ़ गया और वहीं बैठा रहा। भैंसे को छत पर देख कर स्थानीय लोगों ने भरसक प्रयास किए लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी। ग्रामीणों ने भैंसे को उतारने के लिए देवी-देवताओं से भी मन्नत मांग ली। निराश ग्रामीणों ने वन विभाग से सम्पर्क किया तो उन्होंने भैंसे को वन्यजीव मानने से इनकार करते हुए कहा कि कोई शेर चीता हो तो पकड़ने की जुगत कर सकते है। भैंसा हमारे विभाग में नहीं आता है। इस पर ग्रामीणों ने पंचायत समिति प्रधान गणेशलाल से सम्पर्क किया। प्रधान ने इस सम्बन्ध में पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉ. घनश्याम भाई मुरोडिया से सम्पर्क कर समस्या के निदान के लिए कहा।
इस पर डॉ. घनश्याम भाई मुरोडिया अपने दल डॉ. जगदीश जीनगर, रायसन लाल डामोर, दिनेश सिंह के साथ उक्त मकान की छत पर चढे। पशुपालन विभाग दल को देख कर भैंसे का उग्र स्वभाव काफूर हो गया और उसने पशुपालन विभाग कर्मचारियों की ओर से डाले गए चारे को चाव से खाया। इसके उपरांत जब डॉ. घनश्याम भाई मुरोडिया ने भैंसे के गले में रस्सी बांधी तब भी कोई प्रतिरोध नहीं किया और वह आराम से सीढ़ियां उतर कर मकान के नीचे आ गया। भैंसे के नीचे उतरते ही ग्रामीणों ने आतिशबाजी कर प्रसन्नता जाहिर की।
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