राजसमन्द। जिले के देवगढ़ क्षेत्र के ईशरमण्ड गांव में मस्तिष्क वर केस का खुलासा होने पर शुक्रवार को दिल्ली व जयपुर से आए चिकित्सकों ने गांव का दौर किया तथा वहां से काफी संख्या में मच्छर एकत्र किए। दल ने गांव के लोगों की रक्त पट्टिकाएं भी ली। मच्छरों से निजात के लिए आगामी तीन दिन के लिए दल ने कार्य योजना बना कर कार्मिकों को निर्देश भी दिए है।
ईशरमण्ड गांव निवासी सुरेश सुथार की पुत्री सीमा (14 माह) गत जुलाई माह में काफी बीमार हो गई थी जिस पर उसे 19 जुलाई को देवगढ़ चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। यहां हालत में सुधार नहीं होने पर सीमा को 22 जुलाई को उदयपुर के लिए रेफर कर दिया गया। उदयपुर में एक निजी चिकित्सालय में उपचार रहते हुए 27 जुलाई को उसका डायग्नोसिस दिल्ली में करवाया जहां सीमा को मस्तिष्क वर से पीड़ित होने की बात सामने आई।
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को दिल्ली स्थित मलेरिया अनुसंधान केन्द्र से चिकित्सक सी.एम. अग्रवाल, बी.एल थापर, जयपुर से निदेशक बी.एल. राठौड़, योति एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बी.एल. सिरोया व 15 सदस्यीय दल ईशरमण्ड गांव पहुंचा और बारीकी से निरीक्षण किया। दल ने यहां से करीब सैंकड़ों मच्छर पकड़े जिन्हें दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र पर ले जाकर परीक्षण किया जाएगा कि मस्तिष्क वर के लिए जिम्मेदार मच्छर कूलर्सर यहां उत्पन्न तो नहीं हो रहे है। दल ने आगामी तीन दिनों के लिए जलाशयों में गम्बूशिया मछली डालने, गड्डों में तेल का छिडकाव, दवा का छिड़काव करने सहित अन्य गतिविधियों की कार्ययोजना बनाई और उस पर अमल करना शुरू कर दिया है। दल ने घर-घर जाकर लोगों से मुलाकात की तथा 85 लोगों की रक्तपट्टिकाएं ली। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि गांव में मात्र चार व्यक्ति साधारण बुखार से पीड़ित मिले, जिन्हें उपचार दिया गया। उन्होंने बताया कि मस्तिष्क वर से पीड़ित बालिका सीमा की हालत में सुधार है।
ईशरमण्ड गांव निवासी सुरेश सुथार की पुत्री सीमा (14 माह) गत जुलाई माह में काफी बीमार हो गई थी जिस पर उसे 19 जुलाई को देवगढ़ चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। यहां हालत में सुधार नहीं होने पर सीमा को 22 जुलाई को उदयपुर के लिए रेफर कर दिया गया। उदयपुर में एक निजी चिकित्सालय में उपचार रहते हुए 27 जुलाई को उसका डायग्नोसिस दिल्ली में करवाया जहां सीमा को मस्तिष्क वर से पीड़ित होने की बात सामने आई।
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को दिल्ली स्थित मलेरिया अनुसंधान केन्द्र से चिकित्सक सी.एम. अग्रवाल, बी.एल थापर, जयपुर से निदेशक बी.एल. राठौड़, योति एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बी.एल. सिरोया व 15 सदस्यीय दल ईशरमण्ड गांव पहुंचा और बारीकी से निरीक्षण किया। दल ने यहां से करीब सैंकड़ों मच्छर पकड़े जिन्हें दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र पर ले जाकर परीक्षण किया जाएगा कि मस्तिष्क वर के लिए जिम्मेदार मच्छर कूलर्सर यहां उत्पन्न तो नहीं हो रहे है। दल ने आगामी तीन दिनों के लिए जलाशयों में गम्बूशिया मछली डालने, गड्डों में तेल का छिडकाव, दवा का छिड़काव करने सहित अन्य गतिविधियों की कार्ययोजना बनाई और उस पर अमल करना शुरू कर दिया है। दल ने घर-घर जाकर लोगों से मुलाकात की तथा 85 लोगों की रक्तपट्टिकाएं ली। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि गांव में मात्र चार व्यक्ति साधारण बुखार से पीड़ित मिले, जिन्हें उपचार दिया गया। उन्होंने बताया कि मस्तिष्क वर से पीड़ित बालिका सीमा की हालत में सुधार है।
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