राजसमंद। बिना पाठ्यपुस्तक व निर्धारित कालांश का लक्ष्य पूर्ण नहीं होने के बाद आधे-अधूरे ज्ञान के साथ नवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थी गुरूवार को परीक्षा कक्ष में पहुंचे। इनमें से कई ऎसे विद्यार्थी हैं जिन्होंने चालू शिक्षण सत्र के दौरान पाठ्यपुस्तकें ही नहीं देखी हैं। ऎसे में सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर क्या है!
इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में नवीं और ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को 75 फीसदी पाठ्यक्रम तथा दसवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 100 फीसदी पाठ्यक्रम को आधार बना कर कसौटी पर परखा जाता है।
अधूरा पाठ्यक्रम
सूत्रों ने बताया कि जिले के करीब 70 विद्यालयों में पाठ्य पुस्तकें ही नहीं पहुंच पाई हैं। ऎसे में पाठ्यक्रम पूरा होना तो दूर समुचित अध्ययन कार्य भी नहीं हुआ। इधर, जिन विद्यालयों में पर्याप्त पुस्तकें पहुंची वहां बोर्ड कक्षाओं का करीब सत्तर से अस्सी फीसदी ही पाठ्यक्रम पूर्ण हो सका है। ऎसा इसलिए हुआ क्योंकि शिविरा पंचाग में फेरबदल के कारण विद्यालयों में चालू शिक्षण सत्र के दौरान अर्द्ध वार्षिक परीक्षा तक के निर्घारित 180 कालांश में से 160-165 कालांश ही पूर्ण हो पाए।
54 हजार ने दी परीक्षा
जिला स्तरीय समान परीक्षा व्यवस्था के संयोजक व श्री बालकृष्ण विद्याभवन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, कांकरोली के प्रधानाचार्य नवनीत पालीवाल ने बताया कि परीक्षा में जिले भर से 54 हजार 176 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं, जिसमें से कक्षा छह से आठ में 19 हजार 312, कक्षा नौ तथा दस के 24 हजार 24 एवं कक्षा 11 और 12 के 10 हजार 840 विद्यार्थी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि परीक्षा के लिए जिले में कुल 263 परीक्षा केन्द्र बनाएं गए हैं।
उडनदस्ते का गठन
उधर, गुरूवार से परीक्षाएं शुरू होने के साथ गठित दो में से एक उडनदस्ते ने जिले के विभिन्न विद्यालयों का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उडनदस्ते के सदस्य माध्यमिक विद्यालय, भाणा के संस्था प्रधान माधवलाल चण्डालिया, उच्च माध्यमिक विद्यालय, कांकरोली के प्राध्यापक प्रभु गिरी गोस्वामी आदि ने पहले दिन उच्च माध्यमिक विद्यालय कुंवारिया, पीपली अहीरान, माध्यमिक विद्यालय गोगाथला, उच्च माध्यमिक तथा बालिका माध्यमिक विद्यालय कुरज व रेलमगरा तहसील के कई विद्यालयों का निरीक्षण किया। सदस्यों ने परीक्षा केन्द्र प्रभारियों को परीक्षा संबंधी अभिलेखों का संधारण करने व अन्य निर्देश दिए।
नहीं पहुंचे निर्देश
पिछले माह छह नवम्बर को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान ने पाठ्यक्रम में संशोधन के आदेश जारी किए गए। इसमें कुछ पाठ के हिस्से कटवाए तो कुछ की लाइनें कटवाई थीं। इस आशय के आदेश अभी तक कई दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में नहीं पहुंच पाए हैं।
इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में नवीं और ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को 75 फीसदी पाठ्यक्रम तथा दसवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 100 फीसदी पाठ्यक्रम को आधार बना कर कसौटी पर परखा जाता है।
अधूरा पाठ्यक्रम
सूत्रों ने बताया कि जिले के करीब 70 विद्यालयों में पाठ्य पुस्तकें ही नहीं पहुंच पाई हैं। ऎसे में पाठ्यक्रम पूरा होना तो दूर समुचित अध्ययन कार्य भी नहीं हुआ। इधर, जिन विद्यालयों में पर्याप्त पुस्तकें पहुंची वहां बोर्ड कक्षाओं का करीब सत्तर से अस्सी फीसदी ही पाठ्यक्रम पूर्ण हो सका है। ऎसा इसलिए हुआ क्योंकि शिविरा पंचाग में फेरबदल के कारण विद्यालयों में चालू शिक्षण सत्र के दौरान अर्द्ध वार्षिक परीक्षा तक के निर्घारित 180 कालांश में से 160-165 कालांश ही पूर्ण हो पाए।
54 हजार ने दी परीक्षा
जिला स्तरीय समान परीक्षा व्यवस्था के संयोजक व श्री बालकृष्ण विद्याभवन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, कांकरोली के प्रधानाचार्य नवनीत पालीवाल ने बताया कि परीक्षा में जिले भर से 54 हजार 176 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं, जिसमें से कक्षा छह से आठ में 19 हजार 312, कक्षा नौ तथा दस के 24 हजार 24 एवं कक्षा 11 और 12 के 10 हजार 840 विद्यार्थी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि परीक्षा के लिए जिले में कुल 263 परीक्षा केन्द्र बनाएं गए हैं।
उडनदस्ते का गठन
उधर, गुरूवार से परीक्षाएं शुरू होने के साथ गठित दो में से एक उडनदस्ते ने जिले के विभिन्न विद्यालयों का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उडनदस्ते के सदस्य माध्यमिक विद्यालय, भाणा के संस्था प्रधान माधवलाल चण्डालिया, उच्च माध्यमिक विद्यालय, कांकरोली के प्राध्यापक प्रभु गिरी गोस्वामी आदि ने पहले दिन उच्च माध्यमिक विद्यालय कुंवारिया, पीपली अहीरान, माध्यमिक विद्यालय गोगाथला, उच्च माध्यमिक तथा बालिका माध्यमिक विद्यालय कुरज व रेलमगरा तहसील के कई विद्यालयों का निरीक्षण किया। सदस्यों ने परीक्षा केन्द्र प्रभारियों को परीक्षा संबंधी अभिलेखों का संधारण करने व अन्य निर्देश दिए।
नहीं पहुंचे निर्देश
पिछले माह छह नवम्बर को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान ने पाठ्यक्रम में संशोधन के आदेश जारी किए गए। इसमें कुछ पाठ के हिस्से कटवाए तो कुछ की लाइनें कटवाई थीं। इस आशय के आदेश अभी तक कई दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में नहीं पहुंच पाए हैं।
No comments:
Post a Comment