दरीबा/ गिलूण्ड। रेलमगरा तहसील क्षेत्र के चराणा गांव में विगत तीनों से रहस्यमय ढंग से धधक रही आग रविवार शाम से नियंत्रण में हैं। हालांकि रात को आठ बजे हीरालाल पुत्र गोपीलाल सुखवाल (पाण्डया) के बाडे में आग लग गई, लेकिन ग्रामीणों व दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पा लिया जिससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। अब तक यहां एक दर्जन से भी ज्यादा बाडों में आग लग चुकी है।
भीषण आग के मंजर का खौफ यहां के ग्रामीणों की आंखों में साफ दिखाई दे रहा है। रविवार शाम के बाद कहीं आग की घटना नहीं होने से जहां पुलिस, प्रशासन व दमकलकर्मियों ने राहत की सांस ली है, वहीं ग्रामीणों की स्थिति में भी सुधार हुआ है। हालांकि प्रशासन अभी भी स्थिति पर नजर रखने के लिए गांव में ही पडाव डाले हुए है। आग के खौफ से ग्रामीणों ने रविवार की रात भी सडकों पर ही गुजारी। वहीं पशुपालकों ने अपने पशु सोमवार को भी बाडों में नहीं बांधे।
सहायता में जुटे ग्रामीण
गांव में आगजनी की घटना के पीडितों को सहायता देने के लिए प्रशासन की बाट जोहने के बजाय ग्रामीणों ने एक बार तो अपने स्तर पर इनकी सहायता करने का कार्य शुरू कर दिया है। ग्रामीण पीडित परिवारों को अनाज व पशुओं के लिए चारे आदि की सहायता देने के साथ इनके अस्थाई रूप से रहने की भी व्यवस्था कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पीडितों में सबसे बुरी हालत श्यामलाल पुत्र रूपलाल सुखवाल की है। उनके बाडे में आग से वहां रखा अनाज भी चारे के साथ जल गया। इसके साथ ही गांव में आगजनी की चपेट में आए परिवार जनों से मिलने के लिए उनके रिश्तेदारों के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। वे यहां सभी पीडितों के घरों में पहुंच कर उन्हें सांत्वना दे रहे हैं।
भीषण आग के मंजर का खौफ यहां के ग्रामीणों की आंखों में साफ दिखाई दे रहा है। रविवार शाम के बाद कहीं आग की घटना नहीं होने से जहां पुलिस, प्रशासन व दमकलकर्मियों ने राहत की सांस ली है, वहीं ग्रामीणों की स्थिति में भी सुधार हुआ है। हालांकि प्रशासन अभी भी स्थिति पर नजर रखने के लिए गांव में ही पडाव डाले हुए है। आग के खौफ से ग्रामीणों ने रविवार की रात भी सडकों पर ही गुजारी। वहीं पशुपालकों ने अपने पशु सोमवार को भी बाडों में नहीं बांधे।
सहायता में जुटे ग्रामीण
गांव में आगजनी की घटना के पीडितों को सहायता देने के लिए प्रशासन की बाट जोहने के बजाय ग्रामीणों ने एक बार तो अपने स्तर पर इनकी सहायता करने का कार्य शुरू कर दिया है। ग्रामीण पीडित परिवारों को अनाज व पशुओं के लिए चारे आदि की सहायता देने के साथ इनके अस्थाई रूप से रहने की भी व्यवस्था कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पीडितों में सबसे बुरी हालत श्यामलाल पुत्र रूपलाल सुखवाल की है। उनके बाडे में आग से वहां रखा अनाज भी चारे के साथ जल गया। इसके साथ ही गांव में आगजनी की चपेट में आए परिवार जनों से मिलने के लिए उनके रिश्तेदारों के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। वे यहां सभी पीडितों के घरों में पहुंच कर उन्हें सांत्वना दे रहे हैं।
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