Thursday, December 10, 2009

कैसे हो फसलों की सिंचाई!

सेमा। मानसून की बेरूखी के चलते क्षेत्र में दिसम्बर माह में ही जल स्तर तेजी से घटने लगा है। अल्प वर्षा के कारण बनास में पानी नहीं पहुंचा, जिससे रबी की फसलों को लेकर किसान चिंता ने पड गए हैं। प्रमुख जल स्त्रोतों के बेदम होने से पानी का संकट भी गहराने लगा है। अधिकांश धरती पुत्रों के खेत बंजर पडे हैं।
किसान उदय सिंह सोलंकी, हीर सिंह सोलंकी, फतेहलाल श्रीमाली व प्रेमशंकर श्रीमाली ने बताया कि बाघेरी नाका बांध निर्मित होने से कुछ हद तक पेयजल संकट का समाधान हुआ है। वहीं बाघेरी से नीचे पानी नहीं छलकने से इस बार बनास वर्षा काल से ही वीरान पडी है। पानी की कमी के कारण किसानों और पशुपालकों को मुश्किलों का सामना करना पड रहा है।
अक्टूबर व नवम्बर माह से ही लगातार घटते जलस्तर को देखते हुए कई किसानों ने खेतों में बीज तक नहीं बोए हैं। किसानों का कहना है कि यदि एक बार बनास में पानी का प्रवाह हो जाए तो बेदम पेयजल स्त्रोत जीवित हो सकते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि समस्या इसी कदर व्याप्त रही तोफसलों की सिंचाई तो दूर मवेशियों को भी हलक तर करने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों में भटकना पड सकता है। गर्मी में हालात और विकट हो सकते हैं। पानी की समस्या को देखते हुए रमेशचंद्र श्रीमाली, देवीलाल, भगवतीलाल पालीवाल, गोपीलाल गमेती तथा सरपंच लक्ष्मीलाल सोनी आदि ने राज्य सरकार व जिला प्रशासन से बाघेरी नाका बांध से बनास में पानी छोडे जाने की मांग की है।
रोजडों का भी आतंक
पानी की कमी के कारण जहां एक ओर किसान रबी फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ जहां-तहां फसल बो रखी है वहां रोजडों ने परेशानी बढा दी है। इनके आतंक से किसानों की रात की नींद हराम हो गई है। उन्हें सर्दी के दिनों में खेतों पर डेरा डालकर फसलों की सुरक्षा करनी पड रही है।


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