Monday, December 7, 2009

...और लग गया निशाना

कुंवारिया। किसी के हाथ में थ्रीनॉट थ्री, कोई एस.एल.आर. थामे हुए, किसी के पास रिवाल्वर, कोई पिस्टल तो कोई स्टेनगन थामे हुए था। कस्बे के मेला परिसर के सामने स्थित पुलिस फायरिंग रेंज में सोमवार से प्रारंभ हुए पुलिस के सालाना फायरिंग प्रशिक्षण शिविर में पुलिसकर्मियों ने हथियार चलाना सीखना शुरू किया।
पहले दिन जिले के 25 पुलिसकर्मियों ने निर्घारित लक्ष्य पर निशाना लगा कर दक्षता प्राप्त की। शिविर मे आर.आई. नाहरसिंह के दिशा निर्देशन में प्रशिक्षक हेमराज रेगर ने 1 इन्स्पेक्टर, 2 सब इन्स्पेक्टरों व 3 हैड कांस्टेबलों सहित 25 पुलिसकर्मियों को फायरिंग का प्रशिक्षण दिया।
निशाना चूकना खतरनाक
पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दे रहे प्रशिक्षक हेमराज ने बताया कि फायर करने से पूर्व पुलिसकर्मियों को सांस रोक कर दिमाग एकाग्र रखते हुए निशाना साधने, हाथो की पकड मजबूत रखने और मन-मस्तिष्क व शरीर नियंत्रित बनाए रखने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होने बताया कि थोडी सी चूक पुलिसकर्मियों के लिए बहुत घातक साबित होती है। रिवाल्वर या पिस्टल के निशाने में हल्के से कम्पन से भी लक्ष्य चूक जाता है।
रेंज में बढता ज्ञान
प्रशिक्षक ने बताया कि कई संस्थानो में कम्प्यूटर के माध्यम से लक्ष्य को मारना सिखाया जाता है, लेकिन वास्तविकता का सामना फायरिंग रेंज में पहुंचने पर होता है। पुलिसकर्मी जब तक रिवाल्वर व पिस्टल हाथ में लेकर निशाना नहीं साधते, तब तक वे सीख नहीं सकते।
सुविधाओं की दरकार
मेला परिसर के सामने स्थित जिले की एक मात्र फायरिंग रेंज को वर्तमान में कई सुविधाओं की दरकार है। फायर रेज में तारबंदी नहीं होने से मवेशियों व ग्रामीणों की बिना रोक-टोक आवाजाही जहां व्यवधान उत्पन्न कर रही है, वहीं यह सुरक्षा की दृष्टि से भी घातक है। इसके अतिरिक्त फायरिंग रेंज में स्पेन शूटिंग की व्यवस्था भी नहीं है।

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