Friday, December 11, 2009

आमदनी अट्ठनी, खर्चा रूपैया

देवगढ। जिले की सबसे पुरानी नगर पालिका की माली हालत बदतर हो गई है। पालिका सदस्यों का एकमात्र उद्देश्य पूरे नगर के विकास की जगह अपने अपने वार्ड तक जाली, नाली और सडक निर्माण तक ही सीमित रहा। मण्डल के सदस्यों ने पालिका की आर्थिक स्थिति सुधारने का भी कभी प्रयास नहीं किया जिससे आज पालिका की स्थिति आमदनी अट्ठनी और खर्चा रूपैया वाली बन कर रह गई है।
भू-खण्ड बिक्री ही सहारापालिका के पास एक मात्र साधन भूखण्ड बिक्री ही रह गया है। इसके अलावा इसके पास आय का कोई सहारा नहीं है। निर्माण कार्यो व दुकानों सेमिलने वाली किराये की राशि से कुछ सहारा जरूर मिलता है।
तीन करोड के भूखण्ड बेचेपालिका मण्डल की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण इसे शहर का विकास सहित अन्य खर्चो के लिए पिछले पांच वर्ष में करीब तीन करोड रूपए की लागत के भूखण्ड बेचने पडे। भूखण्ड बिक्री से हुई आय के माध्यम से नगर की मूलभूत सुविधाओं व विकास का खर्चा चल रहा है।
लाखों बकायापालिका को नगर पालिकाकर्मियो की उदासीनता व अनदेखी के चलते नगर में पिछले 10-15 वर्षों से मकानों के निर्माण कार्यों के करीब 12 लाख रूपए की राशि बकाया चल रहे हैं, जो पालिकाकर्मियों को वसूल करने की फुर्सत नहीं है।
मूलभूत सुविधाओं पर लाखों खर्च नगर में बिजली, पानी व साफ सफाई पर नगर पालिका का करीब 4 लाख रूपए खर्चा हो रहा है।
चुंगी से वेतननगर पालिका के कर्मचारियो का मासिक वेतन चुंगी के भरण पोषण के तहत 6 लाख 30 हजार राज्य सरकार की ओर से मिलने वाले वेतन में समाहित हो जाता है। अगर राज्य सरकार मासिक रूप से मिलने वाली इस राशि में कटौती कर दे तो पालिका कर्मचारियों को वेतन के लाले पड जाएं।

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