राजसमंद। आमेट बार एसोसिएशन ने आमेट के पुलिस अघिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली पर आरोप लगा कर उन्हें शक के घेरे में ला दिया है। एसोसिएशन की शनिवार को अध्यक्ष किशनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी सदस्यों ने पुलिस थाने में तैनात थाना अघिकारी सहित तमाम कार्मिकों पर एक अघिवक्ता विशेष को फायदा पहुंचाने का सामूहिक रूप से आरोप लगाया है। शर्मा ने आरोप लगाया कि उसअघिवक्ता को फायदा पहुंचाने के लिए कोई भी नया प्रकरण आने पर अघिकारी स्वयं व अन्य पुलिसकर्मी दूरभाष पर उसे सूचना देते हैं और वे सभी कार्य प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में शुक्रवार को बार एसोसिएशन के पदाघिकारियों व सदस्यों ने विधायक गणेशसिंह परमार से मुलाकात कर थाना प्रभारी के विरूद्ध कार्रवाई करने की मांग की व शनिवार को सांसद से भी संपर्क कर कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
लेन-देन सर्वोपरिशर्मा ने आरोप लगाया कि मुकदमा थाने में दर्ज नहीं होने के कारण अघिवक्ताओं को मजबूरी मेें भादंसं की धारा 156 (3) का सहारा लेना पडता है और जब परिवाद थाने में जाता है तो उस मामले में जब तक लेन-देन की बात नहीं हो जाती है, तब तक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार धन ले लेने के कारण मामलों में कार्रवाई नहीं की जाती या परिवाद को लम्बित सूची में डाल दिया जाता है। बहुत से मामलों में परिवादी को बिना बुलाए ही अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगा दी जाती है।
पुलिस के खिलाफ परिवादअध्यक्ष शर्मा ने बताया कि इस आशय का परिवाद पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजसमंद, गृह मंत्री, पुलिस महानिदेशक, पुलिस उप अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, पुलिस व न्याय प्रशासन के उ“ााघिकारियों को भी भेजा जा चुका है।
यह अघिवक्ताओं की आपसी लडाई है, उनमें फूट है। ये लोग जबर्दस्ती मामले दर्ज करवाना चाहते हैं, जो हम नहीं कर सकते। हम किसी अघिवक्ता विशेष को महत्व नहीं देते। बार की ओर से लगाए गए आरोप मिथ्या और तथ्यहीन हैं।-गोपाल चंदेल, थाना अघिकारी, आमेट
एसोसिएशन के पदाघिकारियों का शिष्टमंडल मेरे पास आया था। आमेट थानेदार के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं। मैंने जांच और कार्रवाई के लिए पुलिस उप अधीक्षक से आग्रह किया है।-गणेशसिंह परमार, विधायक, कुंभलगढ
लेन-देन सर्वोपरिशर्मा ने आरोप लगाया कि मुकदमा थाने में दर्ज नहीं होने के कारण अघिवक्ताओं को मजबूरी मेें भादंसं की धारा 156 (3) का सहारा लेना पडता है और जब परिवाद थाने में जाता है तो उस मामले में जब तक लेन-देन की बात नहीं हो जाती है, तब तक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार धन ले लेने के कारण मामलों में कार्रवाई नहीं की जाती या परिवाद को लम्बित सूची में डाल दिया जाता है। बहुत से मामलों में परिवादी को बिना बुलाए ही अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगा दी जाती है।
पुलिस के खिलाफ परिवादअध्यक्ष शर्मा ने बताया कि इस आशय का परिवाद पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजसमंद, गृह मंत्री, पुलिस महानिदेशक, पुलिस उप अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, पुलिस व न्याय प्रशासन के उ“ााघिकारियों को भी भेजा जा चुका है।
यह अघिवक्ताओं की आपसी लडाई है, उनमें फूट है। ये लोग जबर्दस्ती मामले दर्ज करवाना चाहते हैं, जो हम नहीं कर सकते। हम किसी अघिवक्ता विशेष को महत्व नहीं देते। बार की ओर से लगाए गए आरोप मिथ्या और तथ्यहीन हैं।-गोपाल चंदेल, थाना अघिकारी, आमेट
एसोसिएशन के पदाघिकारियों का शिष्टमंडल मेरे पास आया था। आमेट थानेदार के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं। मैंने जांच और कार्रवाई के लिए पुलिस उप अधीक्षक से आग्रह किया है।-गणेशसिंह परमार, विधायक, कुंभलगढ
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