Wednesday, December 16, 2009

दो फरमान, बहे अरमान

राजसमंद। राज्य सरकार की ओर से हाल ही में जारी किए गए दो फरमानों से पातेय वेतन पर द्वितीय श्रेणी में पदोन्नत शिक्षकों के सामने विकट स्थिति पैदा हो गई है। सरकार ने सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह में एक आदेश जारी कर तृतीय श्रेणी में सेवारत जिले के करीब पौने तीन सौ शिक्षकों को पातेय वेतन पर पदोन्नत किया था। रोस्टर प्रणाली से की गई पदोन्नतियों में कुछ आक्षेप आने के कारण अक्टूबर माह में इसे अंतिम स्वीकृति मिली, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अगले ही माह नवम्बर में जारी एक नये आदेश के कारण पदोन्नत शिक्षकों की मुश्किलें बढ गईं। दो आदेशों के चलते नियुक्ति नहीं मिलने के कारण शिक्षकों को तीन माह से वेतन भी नहीं मिल पा रहा है।
जारी हुए दो फरमानराज्य सरकार की ओर से जारी पहले आदेश में कहा गया कि सभी विद्यालयों में कार्यरत विद्यार्थी मित्र शिक्षकों को रिक्त पदों के मुकाबले स्थायी रखा जाए। इसके बाद एक और आदेश आया, जिसमें कहा गया कि जिन विद्यार्थी मित्र शिक्षकों ने गत शिक्षण सत्र में सेवाएं दी थीं, उन्हें चालू शिक्षण सत्र में नियुक्ति दी जाए, चाहे उनके पास स्थगनादेश हो, अथवा नहीं। आदेश में यह भी कहा गया था कि इन विद्यार्थी मित्र शिक्षकों को उन्हीं विद्यालयों में गत वर्ष की तरह नियुक्ति दी जाए। ऎसे में सभी विद्यार्थी मित्र शिक्षकों ने पुन: नियुक्ति पा ली।
पदोन्नत कहां जाएंपदोन्नत शिक्षकों से तीन-तीन विकल्प मांगे गए थे। विकल्प के आधार पर उन्हें नए विद्यालयों में नियुक्ति देने के आदेश जारी किए गए। जब वे संबंघित विद्यालयों में पहुंचे तो वहां पहले से ही कार्यरत विद्यार्थी मित्र शिक्षकों ने राज्य सरकार के आदेश का हवाला दिया। इस कारण संबंघित विद्यालयों के संस्था प्रधान पदोन्नत शिक्षकों को नियुक्ति नहीं दे पाए। गौरतलब है कि जिले में पहली बार 234 अध्यापकों और 30 अध्यापिकाओं को पदोन्नत किया गया था। इसमें कुछ बदलाव के बाद दूसरी बार में 265 शिक्षकों को पातेय वेतन पर पदोन्नत किया गया था।
तीन माह से वेतन नहींदो फरमानों के बीच फंसे पदोन्नत शिक्षकों को नियुक्ति नहीं मिलने के कारण उन्हें तीन माह से वेतन ही नहीं मिल पा रहा है। हालांकि जिले में पिछले शिक्षण सत्र में 68 विद्यालयों को क्रमोन्नत किया गया था, जहां पदोन्नत शिक्षकों को लगाया जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने बजट जारी नहीं किया है।
यह जानकारी विभाग के ध्यान में है। उन्हें दूसरी जगह समायोजित कर वेतन दिलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।-हंसराजगिरि गोस्वामी, शैक्षणिक प्रकोष्ठ अघिकारी, माध्यमिक शिक्षा

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