राजसमंद। संस्कृत शिक्षा विभाग के अधीन राज्य भर में कार्यरत विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की करीब साढे चार महीने की हाजरी को लेकर आधा साल गुजरने के बाद भी फैसला नहीं हो पाया है। ऎसे में कक्षाओं में नियमित रूप से पहुंच कर अध्यापन प्रक्रिया सुचारू रखने के बाद भी मानदेय का भुगतान नहीं होने से विद्यार्थी मित्र शिक्षकों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है।
दरअसल पिछले वर्ष राज्य सरकार ने कम शिक्षकों वाले सरकारी विद्यालयों में संविदा के आधार पर एक वर्ष के लिए विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की नियुक्ति की थी। शिक्षण सत्र की समाप्ति के बाद राज्य सरकार ने सभी संविदा शिक्षकों को निकालने के आदेश जारी कर दिए। तब विद्यार्थी मित्र शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली, जहां से उन्हें स्थगन मिल गया।
स्थगनादेश के बाद सरकार ने उन सभी विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की सेवा निरंतर रखने के आदेश जारी कर दिए, जिन्होंने पिछले शिक्षण सत्र के दौरान कार्य किया था। इनमें स्थगनादेश लाने व नहीं लाने वाले विद्यार्थी मित्र शिक्षक भी शामिल थे। हालांकि सरकार ने नियुक्ति को बरकरार रखा, लेकिन संस्कृत शिक्षा विभाग के अधीन कार्यरत विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की पहली अप्रेल से लेकर 16 अगस्त तक की सेवा को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं किया जा सका है। ऎसे में राज्य के कई शिक्षकों को इस अवघि का मानदेय नहीं मिल सका।
नोडल केन्द्र में जानकारीनियमित रूप से कक्षाएं लेने व उपस्थिति रजिस्टर का संधारण करने के बाद विद्यार्थी मित्र शिक्षकों ने संधारित रिकॉर्ड नोडल केन्द्रों को भेज दिया। वहां से रिकॉर्ड सम्भागीय संस्कृत शिक्षा अघिकारी कार्यालयों में पहुंचा, लेकिन शिक्षा निदेशालय, बीकानेर की ओर से आदेश नहीं मिलने से मानदेय के बिल तैयार नहीं किए जा सके।
सचिवालय में दबी फाइल सभी विद्यार्थी मित्र शिक्षकों का रिकॉर्ड निदेशालय ने अपने पास से सचिवालय भिजवा दिया, लेकिन कई माह बाद भी यह फाइल सचिवालय में दब कर रह गई है। पिछले माह के अंत में संस्कृत शिक्षा विभाग के विद्यार्थी मित्र शिक्षकों को 16 अगस्त के बाद का मानदेय भुगतान कर दिया गया, लेकिन पहले का भुगतान नहीं हो सका।
विद्यार्थी मित्र शिक्षकों का एक अप्रेल से 16 अगस्त तक की अवघि का रिकॉर्ड हमारे पास पहुंचा। यह रिकॉर्ड हमने जयपुर निदेशालय और निदेशालय ने सचिवालय भिजवा दिया, लेकिन वहां से अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। इसलिए उपस्थिति दर्ज करने अथवा नहीं करने को लेकर संशय बना हुआ है।-उमाकांत मिश्र, सम्भागीय संस्कृत शिक्षा अघिकारी, उदयपुर
दरअसल पिछले वर्ष राज्य सरकार ने कम शिक्षकों वाले सरकारी विद्यालयों में संविदा के आधार पर एक वर्ष के लिए विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की नियुक्ति की थी। शिक्षण सत्र की समाप्ति के बाद राज्य सरकार ने सभी संविदा शिक्षकों को निकालने के आदेश जारी कर दिए। तब विद्यार्थी मित्र शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली, जहां से उन्हें स्थगन मिल गया।
स्थगनादेश के बाद सरकार ने उन सभी विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की सेवा निरंतर रखने के आदेश जारी कर दिए, जिन्होंने पिछले शिक्षण सत्र के दौरान कार्य किया था। इनमें स्थगनादेश लाने व नहीं लाने वाले विद्यार्थी मित्र शिक्षक भी शामिल थे। हालांकि सरकार ने नियुक्ति को बरकरार रखा, लेकिन संस्कृत शिक्षा विभाग के अधीन कार्यरत विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की पहली अप्रेल से लेकर 16 अगस्त तक की सेवा को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं किया जा सका है। ऎसे में राज्य के कई शिक्षकों को इस अवघि का मानदेय नहीं मिल सका।
नोडल केन्द्र में जानकारीनियमित रूप से कक्षाएं लेने व उपस्थिति रजिस्टर का संधारण करने के बाद विद्यार्थी मित्र शिक्षकों ने संधारित रिकॉर्ड नोडल केन्द्रों को भेज दिया। वहां से रिकॉर्ड सम्भागीय संस्कृत शिक्षा अघिकारी कार्यालयों में पहुंचा, लेकिन शिक्षा निदेशालय, बीकानेर की ओर से आदेश नहीं मिलने से मानदेय के बिल तैयार नहीं किए जा सके।
सचिवालय में दबी फाइल सभी विद्यार्थी मित्र शिक्षकों का रिकॉर्ड निदेशालय ने अपने पास से सचिवालय भिजवा दिया, लेकिन कई माह बाद भी यह फाइल सचिवालय में दब कर रह गई है। पिछले माह के अंत में संस्कृत शिक्षा विभाग के विद्यार्थी मित्र शिक्षकों को 16 अगस्त के बाद का मानदेय भुगतान कर दिया गया, लेकिन पहले का भुगतान नहीं हो सका।
विद्यार्थी मित्र शिक्षकों का एक अप्रेल से 16 अगस्त तक की अवघि का रिकॉर्ड हमारे पास पहुंचा। यह रिकॉर्ड हमने जयपुर निदेशालय और निदेशालय ने सचिवालय भिजवा दिया, लेकिन वहां से अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। इसलिए उपस्थिति दर्ज करने अथवा नहीं करने को लेकर संशय बना हुआ है।-उमाकांत मिश्र, सम्भागीय संस्कृत शिक्षा अघिकारी, उदयपुर
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