राजसमंद। नरेगा के तहत रोजगार न देने से गुस्साए करीब सौ से अघिक मजदूर हाथों में गेतियां-फावडे, तगारियां और टिफिन लेकर शनिवार को एमडी ग्राम पंचायत सरपंच के घर पहुंच गए और जोर से नारे लगाते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। गुस्साए श्रमिकों को देख सरपंच को घर के अंदर छिपना पडा। हालांकि बाद में जिला प्रमुख के आश्वासन पर नरेगा श्रमिकों का गुस्सा शांत हुआ।
दरअसल नरेगा के तहत हर मजदूदर को एक वित्तीय वर्ष के दौरान सौ दिन रोजगार देने का प्रावधान है, लेकिन एमडी ग्राम पंचायत में 1420 जॉब कार्डो में से 616 श्रमिकों को अब तक एक दिन का भी रोजगार नहीं मिल पाया है। यही नहीं 280 श्रमिक ऎसे हैं, जिन्हें पचास से कम दिनों का रोजगार मिला हुआ है। ऎसे में जॉब कार्डधारी श्रमिक पिछले कई दिनों से सरपंच मांगीलाल कुमावत से रोजगार देने की मांग कर रहे थे। हालांकि सरपंच ने अपने स्तर पर विकास अघिकारी व जिला कलक्टर को इस संबंध में सूचना दे दी थी, लेकिन श्रमिकों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया।
तीन दिन से प्रदर्शनहालांकि जॉब कार्डधारी करीब पांच सौ महिलाएं श्रमिक गुरूवार को भी सरपंच के घर समूह के रूप में काम मांगने पहुंची थीं, लेकिन शुक्रवार को काम पर लगाने के सरपंच के आश्वासन के बाद लौट गई थीं, लेकिन शुक्रवार को भी काम नहीं मिलने पर फिर से कई श्रमिक सरपंच के घर पहुंचीं और काम मांगा, लेकिन सरपंच ने गेंद जिला कलक्टर और विकास अघिकारी के पाले में डाल कर हाथ खडे कर दिए। इससे श्रमिकों में गुस्सा फैल गया।
घर में घुस गईशनिवार सुबह करीब पौने नौ बजे हाथों में गेतियां-फावडे, टिफिन, तगारी आदि लेकर पहुंचीं सौ से अघिक महिला श्रमिकों ने सरपंच कुमावत के घर के बाहर प्रदर्शन और नारेबाजी की। सरपंच के बाहर नहीं आने पर गुस्साई महिला श्रमिकों का हुजूम सरपंच कुमावत के घर में घुस गया और वहां वे हाय-हाय के नारे लगाने लगीं।
रेलमगरा मार्ग भी जामगुस्साई श्रमिकों ने प्रदर्शन और नारेबाजी के बाद कांकरोली-रेलमगरा मार्ग भी जाम कर दिया। ये श्रमिक सडक पर बैठ गईं और आने-जाने वाले वाहनों को वहीं रोक दिया। इससे वाहन चालकों और यात्रियों को बहुत देर तक परेशानियों का सामना करना पडा।
नरेगा कार्य 16 दिसम्बर से बंद हो गए, लेकिन कई श्रमिकों को नरेगा के नियमानुसार काम चाहिए। मैंने इस संबंध में विकास अघिकारी और जिला कलक्टर को समय रहते ही पूरी सूचना दे दी थी, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया। श्रमिकों का प्रदर्शन वाजिब है, लेकिन मैं क्या कर सकता हूं।-मांगीलाल कुमावत, सरपंच, निर्मल ग्राम पंचायत एमडी
दरअसल नरेगा के तहत हर मजदूदर को एक वित्तीय वर्ष के दौरान सौ दिन रोजगार देने का प्रावधान है, लेकिन एमडी ग्राम पंचायत में 1420 जॉब कार्डो में से 616 श्रमिकों को अब तक एक दिन का भी रोजगार नहीं मिल पाया है। यही नहीं 280 श्रमिक ऎसे हैं, जिन्हें पचास से कम दिनों का रोजगार मिला हुआ है। ऎसे में जॉब कार्डधारी श्रमिक पिछले कई दिनों से सरपंच मांगीलाल कुमावत से रोजगार देने की मांग कर रहे थे। हालांकि सरपंच ने अपने स्तर पर विकास अघिकारी व जिला कलक्टर को इस संबंध में सूचना दे दी थी, लेकिन श्रमिकों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया।
तीन दिन से प्रदर्शनहालांकि जॉब कार्डधारी करीब पांच सौ महिलाएं श्रमिक गुरूवार को भी सरपंच के घर समूह के रूप में काम मांगने पहुंची थीं, लेकिन शुक्रवार को काम पर लगाने के सरपंच के आश्वासन के बाद लौट गई थीं, लेकिन शुक्रवार को भी काम नहीं मिलने पर फिर से कई श्रमिक सरपंच के घर पहुंचीं और काम मांगा, लेकिन सरपंच ने गेंद जिला कलक्टर और विकास अघिकारी के पाले में डाल कर हाथ खडे कर दिए। इससे श्रमिकों में गुस्सा फैल गया।
घर में घुस गईशनिवार सुबह करीब पौने नौ बजे हाथों में गेतियां-फावडे, टिफिन, तगारी आदि लेकर पहुंचीं सौ से अघिक महिला श्रमिकों ने सरपंच कुमावत के घर के बाहर प्रदर्शन और नारेबाजी की। सरपंच के बाहर नहीं आने पर गुस्साई महिला श्रमिकों का हुजूम सरपंच कुमावत के घर में घुस गया और वहां वे हाय-हाय के नारे लगाने लगीं।
रेलमगरा मार्ग भी जामगुस्साई श्रमिकों ने प्रदर्शन और नारेबाजी के बाद कांकरोली-रेलमगरा मार्ग भी जाम कर दिया। ये श्रमिक सडक पर बैठ गईं और आने-जाने वाले वाहनों को वहीं रोक दिया। इससे वाहन चालकों और यात्रियों को बहुत देर तक परेशानियों का सामना करना पडा।
नरेगा कार्य 16 दिसम्बर से बंद हो गए, लेकिन कई श्रमिकों को नरेगा के नियमानुसार काम चाहिए। मैंने इस संबंध में विकास अघिकारी और जिला कलक्टर को समय रहते ही पूरी सूचना दे दी थी, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया। श्रमिकों का प्रदर्शन वाजिब है, लेकिन मैं क्या कर सकता हूं।-मांगीलाल कुमावत, सरपंच, निर्मल ग्राम पंचायत एमडी
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