राजसमंद। जापान बैंक ऑफ इंटरनेशनल कॉरपोरेशन (जेआईसीए) के मार्फत जिले के 21 जर्जर बांधों और नहरों का जीर्णोद्धार करवाया जाएगा। इससे न सिर्फ बांधों व नहरों की दशा सुधरेगी, बल्कि पानी के समुचित उपयोग से उत्पादन भी बढेगा। सर्वे शुरू हो चुका है। जल उपयोगिता संगम के गठन के साथ ही बैंक की शर्तो के अनुसार काश्तकारों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है।
जेआईसीए की इस पहल के तहत नाथद्वारा में बडा भाणुजा, काक मदाडा, सगरूण व सलोदा, रेलमगरा में भराई, चराणा, चौकडी, ढीली व खण्डेल, आमेट में गुगली की फूट, कुंभलगढ में रिछेड व तलादरी, देवगढ में गुणियां व काला भाटा और भीम में मियाला, बग्गड, बरजाल, भीम तालाब, डाबियर, काकेडिया रपट व भूपालसागर बांध की दशा सुधरेगी।
सर्वे शुरू
क्षतिग्रस्त बांधों और नहरों की शीघ्र मरम्मत के लिए सर्वे व जांच का काम प्रगति पर चल रहा है। जयपुर की मैसर्स कामाख्या कांस्ट्रक्शन कम्पनी यह कार्य कर रही है। सर्वे में सिंचाई खण्ड के सहायक व कनिष्ठ अभियंता के साथ ही जल उपयोगिता संगम के अध्यक्ष व सदस्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सर्वे के बाद निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी और इसके बाद बांधों व नहरों का कायाकल्प शुरू होगा।
काश्तकारों की भूमिका अहम
खस्ताहाल नहरों व बांधों की मरम्मत के लिए काश्तकारों की सहभागिता अनिवार्य की गई है। इसके तहत जल उपयोगिता संगम का गठन किया गया है जिसमें अध्यक्षों व सदस्यों का चयन किया गया है। ये चयनित सदस्य चिह्नित नहरों व बांधों के जर्जर बिंदुओं की मरम्मत करवाएंगे।
बढेगा उत्पादन
बांधों और नहरों की दशा सुधरने के बाद उनमें जल संचयन होने से किसान अधिक से अधिक पानी का उपयोग कर फसलों की सिंचाई करेंगे और उत्पादन बढेगा।
जेआईसीए की इस पहल के तहत नाथद्वारा में बडा भाणुजा, काक मदाडा, सगरूण व सलोदा, रेलमगरा में भराई, चराणा, चौकडी, ढीली व खण्डेल, आमेट में गुगली की फूट, कुंभलगढ में रिछेड व तलादरी, देवगढ में गुणियां व काला भाटा और भीम में मियाला, बग्गड, बरजाल, भीम तालाब, डाबियर, काकेडिया रपट व भूपालसागर बांध की दशा सुधरेगी।
सर्वे शुरू
क्षतिग्रस्त बांधों और नहरों की शीघ्र मरम्मत के लिए सर्वे व जांच का काम प्रगति पर चल रहा है। जयपुर की मैसर्स कामाख्या कांस्ट्रक्शन कम्पनी यह कार्य कर रही है। सर्वे में सिंचाई खण्ड के सहायक व कनिष्ठ अभियंता के साथ ही जल उपयोगिता संगम के अध्यक्ष व सदस्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सर्वे के बाद निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी और इसके बाद बांधों व नहरों का कायाकल्प शुरू होगा।
काश्तकारों की भूमिका अहम
खस्ताहाल नहरों व बांधों की मरम्मत के लिए काश्तकारों की सहभागिता अनिवार्य की गई है। इसके तहत जल उपयोगिता संगम का गठन किया गया है जिसमें अध्यक्षों व सदस्यों का चयन किया गया है। ये चयनित सदस्य चिह्नित नहरों व बांधों के जर्जर बिंदुओं की मरम्मत करवाएंगे।
बढेगा उत्पादन
बांधों और नहरों की दशा सुधरने के बाद उनमें जल संचयन होने से किसान अधिक से अधिक पानी का उपयोग कर फसलों की सिंचाई करेंगे और उत्पादन बढेगा।
No comments:
Post a Comment