खमनोर। चैत्री गुलाब की खेती के लिए विश्वप्रसिद्ध हल्दीघाटी क्षेत्र में गुलाब के फूलों की आवक यौवन पर है। करीब चालीस बीघा भूमि पर खिले फूलों का प्रकृति व मौसम ने भी भरपूर साथ दिया। अच्छी बात यह कि विदेशी सैलानियों का मन इन पुष्पों पर रीझ रहा है, वहीं किसानों के चेहरे भी खिले-खिले हैं।
वर्तमान में शीतल बयार और महीन उष्मा की जुगलबंदी के चलते पुष्प भी दिन-दूने रात चौगुने पल्लवित हो रहे हैं। रोजाना करीब 60 से 70 हजार पुष्पों की आवक हो रही है।
पुष्पों को श्रीनाथजी की सेवा में भेजने के बाद शेष बचे पुष्पों से धरतीपुत्र गुलाब से बनने वाले उत्पादन तैयार कर रहे हैं। पुष्पों से लकदक एवं गुलाब की महक से लबरेज खेतों को देखकर हर कोई इनके आकर्षण में बंधा है। स्थानीय लोगों के साथ विदेशी पर्यटक भी चैत्री गुलाब की महक से अछूते नहीं रह गए।
अमेरिका से पति मुकुल के साथ मारिया को तो चैत्री गुलाब की खेती इतनी रास आई कि उसने दो दिन तक कस्बे में रूककर जानकारी ली एवं लगातार दो दिन तक सुबह के वक्त चैत्री खेती करने वाले परिवार के लोगों के साथ खेतों पर जाकर दो हजार फूल चुने।
वर्तमान में शीतल बयार और महीन उष्मा की जुगलबंदी के चलते पुष्प भी दिन-दूने रात चौगुने पल्लवित हो रहे हैं। रोजाना करीब 60 से 70 हजार पुष्पों की आवक हो रही है।
पुष्पों को श्रीनाथजी की सेवा में भेजने के बाद शेष बचे पुष्पों से धरतीपुत्र गुलाब से बनने वाले उत्पादन तैयार कर रहे हैं। पुष्पों से लकदक एवं गुलाब की महक से लबरेज खेतों को देखकर हर कोई इनके आकर्षण में बंधा है। स्थानीय लोगों के साथ विदेशी पर्यटक भी चैत्री गुलाब की महक से अछूते नहीं रह गए।
अमेरिका से पति मुकुल के साथ मारिया को तो चैत्री गुलाब की खेती इतनी रास आई कि उसने दो दिन तक कस्बे में रूककर जानकारी ली एवं लगातार दो दिन तक सुबह के वक्त चैत्री खेती करने वाले परिवार के लोगों के साथ खेतों पर जाकर दो हजार फूल चुने।
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