राजसमंद। नगर पालिका ने आठ-दस दिन तक जोर-शोर से तैयारियां करने के बाद गणगौर महोत्सव के आमंत्रण पत्र छपवाए लेकिन बोर्ड के एक पदाधिकारी पर अधिकारी इतने मेहरबान हुए कि मुखपृष्ठ पर उसके दो फोटो प्रकाशित हो गए। बवाल मचता, उससे पहले ही पालिका ने बडी राशि खर्च कर छपवाए गए इन आमंत्रण-पत्रों पर हुई गलती छिपाने के लिए श्रीनाथजी के चित्र की आड ली।
हुआ यूं कि गणगौर महोत्सव व मेले में शहरवासियों को आमंत्रित करने के लिए पालिका ने एक हजार आमंत्रण-पत्र छपवाए। आमंत्रण पत्रों का कलेवर तैयार करने और पृष्ठ सज्ाा सहित तमाम प्रकाशनार्थ सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए आयुक्त नारायणसिंह सांदू ने मोर्चा संभाला। कलेवर को अंतिम रूप देने में एक सप्ताह लग गया। इस बीच पांच-छह बार डिजाइन बदली गई। गत वर्षो में मुखपृष्ठ पर एक ओर श्रीनाथजी व दूसरी तरफ गणगौर का चित्र अंकित होता रहा है। इसके बावजूद बोर्ड के एक पदाधिकारी का फोटो मुखपृष्ठ पर सबसे ऊपर व नीचे दो स्थानों पर लगा दिया गया। मुद्रित होने के बाद आमंत्रण-पत्र विपक्ष के पास जा पहुंचा तो बवाल मचाने की तैयारी हो गई लेकिन महोत्सव के रंग में भंग न पडे, इसलिए उसे संभाल कर रख लिया।
श्रीनाथजी की आडएक फोटोग्राफर को बुलवाकर श्रीनाथजी का आवक्ष फोटो खिंचवाकर उसकी एक हजार कॉपियां निकलवाई गई। इन सभी की कटिंग कर बोर्ड पदाधिकारी के फोटो पर अलग से चिपकाया गया। कई कार्डो पर उक्त चित्र उखड गया और पदाधिकारी 'बाहर दिखने' लगे तो लोगों का माथा ठनका।
पोस्टर भी गडबडशहरवासियों को सार्वजनिक सूचना देने के लिए एक हजार पोस्टर भी मुद्रित कराए गए। पोस्टरों को अंतिम रूप देने के लिए भी इसी अवधि के दौरान कई बार उठापटक हुई। पोस्टर छपकर आने के बाद इसमें पालिका आयुक्त के नाम पर चिपकाने के लिए एक हजार पटि्टयां बनवानी पडी। 'मानवीय भूल' से हुई गडबडी छिपाने के लिए ये पटि्टयां दो दिन तक मेहनत कर लगाई गई।
बोर्ड बैठक में उठेगा मुद्दादोनों खामियों के सामने आने के बाद अब विपक्ष ने सत्ता पक्ष और आयुक्त को बोर्ड बैठक में घेरने की तैयारी कर ली है। उल्लेखनीय है कि एक आमंत्रण पत्र की मुद्रण लागत करीब दस रूपए आई थी। इसके अलावा पांच दिन तक द्वारकाधीश मंदिर प्रांगण से बालकृष्ण स्टेडियम तक निकली शोभायात्रा मार्ग में कहीं भी शीतल जल की व्यवस्था नहीं करने, बैण्डवादकों को मौका नहीं देने आदि के संबंध में भी घेरने की तैयारियां चल रही है।
हुआ यूं कि गणगौर महोत्सव व मेले में शहरवासियों को आमंत्रित करने के लिए पालिका ने एक हजार आमंत्रण-पत्र छपवाए। आमंत्रण पत्रों का कलेवर तैयार करने और पृष्ठ सज्ाा सहित तमाम प्रकाशनार्थ सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए आयुक्त नारायणसिंह सांदू ने मोर्चा संभाला। कलेवर को अंतिम रूप देने में एक सप्ताह लग गया। इस बीच पांच-छह बार डिजाइन बदली गई। गत वर्षो में मुखपृष्ठ पर एक ओर श्रीनाथजी व दूसरी तरफ गणगौर का चित्र अंकित होता रहा है। इसके बावजूद बोर्ड के एक पदाधिकारी का फोटो मुखपृष्ठ पर सबसे ऊपर व नीचे दो स्थानों पर लगा दिया गया। मुद्रित होने के बाद आमंत्रण-पत्र विपक्ष के पास जा पहुंचा तो बवाल मचाने की तैयारी हो गई लेकिन महोत्सव के रंग में भंग न पडे, इसलिए उसे संभाल कर रख लिया।
श्रीनाथजी की आडएक फोटोग्राफर को बुलवाकर श्रीनाथजी का आवक्ष फोटो खिंचवाकर उसकी एक हजार कॉपियां निकलवाई गई। इन सभी की कटिंग कर बोर्ड पदाधिकारी के फोटो पर अलग से चिपकाया गया। कई कार्डो पर उक्त चित्र उखड गया और पदाधिकारी 'बाहर दिखने' लगे तो लोगों का माथा ठनका।
पोस्टर भी गडबडशहरवासियों को सार्वजनिक सूचना देने के लिए एक हजार पोस्टर भी मुद्रित कराए गए। पोस्टरों को अंतिम रूप देने के लिए भी इसी अवधि के दौरान कई बार उठापटक हुई। पोस्टर छपकर आने के बाद इसमें पालिका आयुक्त के नाम पर चिपकाने के लिए एक हजार पटि्टयां बनवानी पडी। 'मानवीय भूल' से हुई गडबडी छिपाने के लिए ये पटि्टयां दो दिन तक मेहनत कर लगाई गई।
बोर्ड बैठक में उठेगा मुद्दादोनों खामियों के सामने आने के बाद अब विपक्ष ने सत्ता पक्ष और आयुक्त को बोर्ड बैठक में घेरने की तैयारी कर ली है। उल्लेखनीय है कि एक आमंत्रण पत्र की मुद्रण लागत करीब दस रूपए आई थी। इसके अलावा पांच दिन तक द्वारकाधीश मंदिर प्रांगण से बालकृष्ण स्टेडियम तक निकली शोभायात्रा मार्ग में कहीं भी शीतल जल की व्यवस्था नहीं करने, बैण्डवादकों को मौका नहीं देने आदि के संबंध में भी घेरने की तैयारियां चल रही है।
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