लखनऊ में बीएसपी की सिल्वर जुबली के मौके पर सोमवार को महारैली का आयोजन किया है। इस रैली में पार्
टी की अध्यक्ष और सीएम मायावती शक्ति प्रदर्शन किया। पार्टी का दावा है कि रमाबाई आंबेडकर मैदान पर होनेवाली यह महारैली उत्तर प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी रैली है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इस महारैली में जमकर सरकारी पैसा खर्च किया गया है। विरोधी पार्टियों का कहना है कि इस रैली में पूरे सरकारी महकमा को लगा दिया गया है और वे सरकारी कामकाज छोड़कर सतारूढ़ पार्टी इस महारैली को कामयाब बनाने में जी जान से जुट गए है। रैली से पूर्व पूरा लखनऊ शहर नीले रंग में रंग गया। हजरतगंज से लेकर रैली स्थल रमाबाई आंबेडकर मैदान तक 12 किलोमीटर लंबा रास्ता नीले रंग में जगमगा रहा है। लखनऊ में हर जगह नीला-नीला ही दिख रहा है। हर जगह हाथी, कांशीराम और मायावती
के पोस्टर छाए हुए हैं। रैली स्थल के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 4 एसपी, 32 एएसपी, 71 डीएसपी, 165 थाना इन्चार्ज समेत 10 हजार से अधिक पुलिस बलों को रैली की सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है। मायावती को रैली में नोटों की माला पहनाई गई। एक अनुमान के मुताबिक इस महारैली पर 200 करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है। यह तब हो रहा है जब कुछ दिन पहले कृपालुजी के आश्रम में हुई भगदड़ में मरे लोगों को मुआवजा देने से मायावती ने इनकार कर दिया था। उन्होंने तब कहा था कि यूपी सरकार के पास पैसे नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि यह रैली एक सर्कस है और मायावती इसकी रिंग मास्टर हैं। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने इस महारैली के बारे में कहा, 'इस महारैली का आयोजन गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंखयकों की भलाई के लिए नहीं किया है, बल्कि यह दिखाने के लिए किया गया है कि स्थिति बीएसपी के कंट्रोल में हैं। हालांकि उसका जनाधार तेजी से घट रहा है।'
टी की अध्यक्ष और सीएम मायावती शक्ति प्रदर्शन किया। पार्टी का दावा है कि रमाबाई आंबेडकर मैदान पर होनेवाली यह महारैली उत्तर प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी रैली है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इस महारैली में जमकर सरकारी पैसा खर्च किया गया है। विरोधी पार्टियों का कहना है कि इस रैली में पूरे सरकारी महकमा को लगा दिया गया है और वे सरकारी कामकाज छोड़कर सतारूढ़ पार्टी इस महारैली को कामयाब बनाने में जी जान से जुट गए है। रैली से पूर्व पूरा लखनऊ शहर नीले रंग में रंग गया। हजरतगंज से लेकर रैली स्थल रमाबाई आंबेडकर मैदान तक 12 किलोमीटर लंबा रास्ता नीले रंग में जगमगा रहा है। लखनऊ में हर जगह नीला-नीला ही दिख रहा है। हर जगह हाथी, कांशीराम और मायावती
के पोस्टर छाए हुए हैं। रैली स्थल के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 4 एसपी, 32 एएसपी, 71 डीएसपी, 165 थाना इन्चार्ज समेत 10 हजार से अधिक पुलिस बलों को रैली की सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है। मायावती को रैली में नोटों की माला पहनाई गई। एक अनुमान के मुताबिक इस महारैली पर 200 करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है। यह तब हो रहा है जब कुछ दिन पहले कृपालुजी के आश्रम में हुई भगदड़ में मरे लोगों को मुआवजा देने से मायावती ने इनकार कर दिया था। उन्होंने तब कहा था कि यूपी सरकार के पास पैसे नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि यह रैली एक सर्कस है और मायावती इसकी रिंग मास्टर हैं। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने इस महारैली के बारे में कहा, 'इस महारैली का आयोजन गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंखयकों की भलाई के लिए नहीं किया है, बल्कि यह दिखाने के लिए किया गया है कि स्थिति बीएसपी के कंट्रोल में हैं। हालांकि उसका जनाधार तेजी से घट रहा है।'
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