श्रीनाथजी मंदिर में मंगलवार को डोलोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया जिसके चलते ठाकुरजी की राजभोग झांकी के चार दर्शन हुए वहीं ठाकुरजी को जमकर होली खिलाते हुए गुलाल अबीर से सराबोर कर दिया। इस अवसर पर नवनीत प्रियाजी (लालन) डोल तिबारी के पिछले भाग में स्थित धु्रव बारी के समीप आम्र पत्तों से तैयार किये गये डोल के मध्य बिराजे जो ३ राजभोग दर्शन की झांकी के पश्चात चौथे राजभोग में श्रीनाथजी प्रभु की गोद में बिराजे। इस दौरान ठाकुरजी को तिलकायत राकेशजी महाराज ने जमकर होली खिलाते हुए गुलाल-अबीर से सराबोर कर दिया। बाद में मुखिया भितरीया को तिलकायत ने होली खिलायी वहीं वैष्णव दर्शनार्थियों ने भी एक दूसरे पर गुलाल छिड़क कर होली का आनन्द उठाया।इस बीच ब्रजवासी ग्वाल बाल परम्परानुसार रसीया का गान ढोल व ढप की थाप के साथ करते रहें। जिसमें ''बनियां तोहे नोत जिमाऊ ..., कित लायो मेरे यार पहाडऩ में, होरी नाय मेरे यार हुरंगा- गोवर्धन की बीच तलेटी भरी में मानसी गंगा'', आदि रसीया सुन कर वैष्णवी श्रोता मंत्र मुग्ध हो गये।नगर में होली-धुलण्डी हर्षोल्लास से : नगर में होली पर्व पर होली मंगरा स्थल पर श्रीनाथजी मंदिर की भव्य होली का दहन परम्परानुसार हुआ। इस दौरान मंदिर के मशालची मिश्रीलाल वर्मा व जितेन्द्र वर्मा ब्रजवाशी ग्वाल बाल व सेवाक र्मी के साथ होली मंगरा स्थल पहुंचे जहां रसीया गान व पूजा अर्चना के बाद होली का दहन हुआ।श्रीनाथजी मंदिर की होली का दहन होते ही नगर के विभिन्न मोहल्लों व चौराहों पर तैयार खड़ी होली का दहन किया गया। होली पर्व के दूसरे दिन लोगों ने जमकर गुलाल व रंग छिड़कते हुए धुलेण्डी का पर्व मनाया तथा परम्परागत रूप से सरे आम गालियों की बौछारे करते लुत्फ लिया। इस अवसर पर नगर में कई जगह ढूंढ़ के पारम्परिक आयोजन हुए जिसमें समाज के लोगों ने शिरकत की।बादशाह की सवारी निकलीनगर में परम्परानुसार धुलेण्डी पर्व की शाम को बादशाह की सवारी निकाली गई। जिसमें स्थानीय बादशाह की गली स्थित मकान से नन्दलाल गुर्जर को बादशाह का रूप धरा कर सुखपाल में बिठा कर बादशाह की सवारी श्रीनाथ बैण्ड की मधुर धुन के बीच निकली तथा मंदिर परिक्रमा के बाद नक्कार खाना प्रवेश द्वार से बादशाह ने मंदिर में प्रवेश कर अपनी दाढ़ी से सीढिय़ों को बुहारने की रस्म अदा की। इस अवसर पर बादशाह के निवास पर श्रवण गुर्जर ने भंग भुजिये तैयार कर प्रेमियों को खिलाए।
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