कुंभलगढ। केन्द्रीय पर्यटन सचिव के ऎतिहासिक दुर्ग में लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम शीघ्र शुरू होने के वादे के बावजूद अब तक इसकी राह प्रशस्त नहीं हुई है। इसी वर्ष दो जनवरी को कुंभलगढ पहुंचे बनर्जी ने दुर्ग में स्थापित करीब ढाई करोड की लागत से बने लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम के जनवरी में ही शुरू कराने का वादा किया था।
नागरिकों ने बताया कि हर वर्ष महाराणा प्रताप जयंती पर इस सिस्टम को शुरू कराने के वादे होते हैं लेकिन बाद में वे वादे अगली जयंती तक धरे रह जाते हैं। गौरतलब है कि दुर्ग स्थित लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम शुरू कराने को लेकर दो-तीन वर्षोü से सम्बन्धित विभाग के आला अफसर कई बार दौरा कर चुके हैं लेकिन कभी गलत स्क्रिप्ट तो कभी आवाज में त्रुटि सहित कई समस्याओं के चलते यह सिस्टम शुरू नहीं हो पा रहा है।
अगर यह सिस्टम शुरू हो जाता है तो रात्रिकालीन लाइटिंग के दौरान चलने वाले सिस्टम से दुर्ग में चार चांद लग जाएंगे, फिलहाल वहां की स्थिति यथावत है। उन्होंने रावली टाटगढ से कुंभलगढ व कोटडा फुलवारी तक वन्यजीव अभ्यारण्य को एक कर उसके चारों ओर सुरक्षा दीवार, वॉटर हॉल, जीवों का उचित संरक्षण व अभ्यारण्य में जंगल सफारी के लिए अतिरिक्त ट्रेक का निर्माण व अन्य विकास कार्य कराने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर शीघ्र निर्णय का भरोसा भी दिलाया था। ये अलग बात है कि इस पर अमल कितना होगा!
उल्लेखनीय है कि दुर्ग पर सबसे पहले पर्यटन विकास को लेकर जगमोहन ने सवा करोड रूपए स्वीकृत किए थे। इससे पूर्व दुर्ग जीर्ण-शीर्ण हालात में पहुंच चुका था। अब सचिव साहब के वादे कब पूरे होंगे, यह तो समय के गर्त में है।
नागरिकों ने बताया कि हर वर्ष महाराणा प्रताप जयंती पर इस सिस्टम को शुरू कराने के वादे होते हैं लेकिन बाद में वे वादे अगली जयंती तक धरे रह जाते हैं। गौरतलब है कि दुर्ग स्थित लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम शुरू कराने को लेकर दो-तीन वर्षोü से सम्बन्धित विभाग के आला अफसर कई बार दौरा कर चुके हैं लेकिन कभी गलत स्क्रिप्ट तो कभी आवाज में त्रुटि सहित कई समस्याओं के चलते यह सिस्टम शुरू नहीं हो पा रहा है।
अगर यह सिस्टम शुरू हो जाता है तो रात्रिकालीन लाइटिंग के दौरान चलने वाले सिस्टम से दुर्ग में चार चांद लग जाएंगे, फिलहाल वहां की स्थिति यथावत है। उन्होंने रावली टाटगढ से कुंभलगढ व कोटडा फुलवारी तक वन्यजीव अभ्यारण्य को एक कर उसके चारों ओर सुरक्षा दीवार, वॉटर हॉल, जीवों का उचित संरक्षण व अभ्यारण्य में जंगल सफारी के लिए अतिरिक्त ट्रेक का निर्माण व अन्य विकास कार्य कराने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर शीघ्र निर्णय का भरोसा भी दिलाया था। ये अलग बात है कि इस पर अमल कितना होगा!
उल्लेखनीय है कि दुर्ग पर सबसे पहले पर्यटन विकास को लेकर जगमोहन ने सवा करोड रूपए स्वीकृत किए थे। इससे पूर्व दुर्ग जीर्ण-शीर्ण हालात में पहुंच चुका था। अब सचिव साहब के वादे कब पूरे होंगे, यह तो समय के गर्त में है।
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