कुंभलगढ। निकटवर्ती तलादरी ग्राम पंचायत स्थित गामडी की नाल में एक माह से पैंथर ने लोगों की नींद उडा रखी है। रात के अंधेरे में वह घर में बंधे मवेशियों पर हमला कर उन्हें ले जाता है। जानकारी के अनुसार एक माह पूर्व स्थानीय निवासी रूपसिंह खखड के घर मध्यरात्रि में पैंथर ने ऊपर से छलांग लगाकर बंधी भैंस पर हमला कर उसे बुरी तरह जख्मी कर दिया, लेकिन जाग हो जाने से वह भाग निकला।
भैंस का केलवाडा में इलाज चल ही रहा था कि 3-4 दिन बाद ही पैंथर ने एक बार फिर देवीसिंह खखड के घर में उसी तरह छलांग लगाकर बकरे को लेकर भाग गया। घटना को पन्द्रह दिन ही बीते होंगे कि गत सोमवार रात करीब दो बजे पैंथर एक बार फिर छलांग लगाकर क्षेत्र के भैरूसिंह खखड के घर की छत पर चढा, सीढियों से घर के आंगन में गया।
वहां रस्सी से बंधे बकरे की रस्सी मुंह में दबाकर उसी प्रकार सीढियां चढ ही रहा था कि जाग हो गई। होहल्ला सुनकर आनन-फानन में उसने छत से नीचे छलांग लगा दी। इस दौरान बकरा उसके मुंह से छूट गया। ग्रामीणों ने बताया कि उसके प्राण उस समय तो बच गए, लेकिन अब वह जिंदगी व मौत से लड रहा है।
ऎसी शिकायत विभाग को नहीं मिली है। आप बता रहे हैं तो मौके पर जाकर जांच की जाएगी। जरूरी हुआ तो पैंथर को पिंजरा लगाकर पकडा जाएगा।
मणिशंकर चौबीसा, क्षेत्रीय वन अधिकारी
भैंस का केलवाडा में इलाज चल ही रहा था कि 3-4 दिन बाद ही पैंथर ने एक बार फिर देवीसिंह खखड के घर में उसी तरह छलांग लगाकर बकरे को लेकर भाग गया। घटना को पन्द्रह दिन ही बीते होंगे कि गत सोमवार रात करीब दो बजे पैंथर एक बार फिर छलांग लगाकर क्षेत्र के भैरूसिंह खखड के घर की छत पर चढा, सीढियों से घर के आंगन में गया।
वहां रस्सी से बंधे बकरे की रस्सी मुंह में दबाकर उसी प्रकार सीढियां चढ ही रहा था कि जाग हो गई। होहल्ला सुनकर आनन-फानन में उसने छत से नीचे छलांग लगा दी। इस दौरान बकरा उसके मुंह से छूट गया। ग्रामीणों ने बताया कि उसके प्राण उस समय तो बच गए, लेकिन अब वह जिंदगी व मौत से लड रहा है।
ऎसी शिकायत विभाग को नहीं मिली है। आप बता रहे हैं तो मौके पर जाकर जांच की जाएगी। जरूरी हुआ तो पैंथर को पिंजरा लगाकर पकडा जाएगा।
मणिशंकर चौबीसा, क्षेत्रीय वन अधिकारी
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