राजसमंद। शहर की 79 हजार आबादी के लिए श्रीद्वारकाधीश मंदिर मण्डल बोर्ड की ओर से 54 साल पूर्व पार्क विकसित करने के लिए दी गई नि:शुल्क जमीन को नगर पालिका मण्डी के रूप में विकसित कर कमाई कर रहा है। जबकि आठ साल पूर्व सब्जी मण्डी के लिए बोर्ड ने अलग से सात बीघा भूमि टोकन मनी पर आवंटित की थी।
शहर में समारोह आयोजन व खुली हवा में बैठने-बतियाने के लिए प्रबुद्धजनों ने 55 वर्ष पूर्व बोर्ड के समक्ष अर्जी पेश की थी। जमीन तो मिल गई, लेकिन प्रशासनिक बेपरवाही से 54 साल बाद भी पार्क मूर्त रूप नहीं ले सका।
धरा रह गया शर्त नामा
6 जनवरी 1956 को मंदिर बोर्ड ने 59 गुणा 179 फीट (कुल 10,561 वर्ग फीट) भूमि देते समय शर्तनामे में 'यह जमीन बख्शीश के तौर पर गांधी पार्क विकसित करने के लिए दी गई है, सो इसी काम में ली जावे और किसी काम में नहीं।' का उल्लेख था।
भूमि पर नगर विकास समिति ने रपट, झूले, फव्वारे, अनुरंजन कक्ष आदि बनवाकर पार्क का रूप दिया। पुस्तकालय भी बना और विभिन्न आयोजनों के स्थल भी। यह सभी तहस नहस हो चुके हैं। तीन कमरों में से एक पर जिला खेल अधिकारी का कार्यालय चल रहा है, जबकि दो बेकार पडे हैं।
एक चूक पड गई भारी
सन् 95 में तत्कालीन पालिकाध्यक्ष ने मौखिक स्वीकृति देकर अनुज्ञाधारी 30 के अलावा 100 से अघिक फुटकर सब्जी विक्रेताओं को पार्क में बैठा दिया। तब पालिका को सन् 2002 में मंदिर मण्डल ने सब्जी मण्डी, बस स्टैण्ड व पार्किग के लिए विट्ठल विलास बाग में टोकन मनी के आधार पर सात बीघा जमीन दी।
कहां गए 17 लाखक्
विधायक किरण माहेश्वरी ने 20 अगस्त 08 को विट्ठल विलास बाग परिसर में सब्जी मण्डी व पार्किग स्थल का शिलान्यास किया था। उन्होंने पहले चरण में 17.04 लाख रूपए व्यय करने की घोषणा की। शिलान्यास का पत्थर जमीन के भीतर दब गया और आशा की किरण पर धूल जम गई।
मैं इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता।
नारायणसिंह सांदू, आयुक्त, नगर पालिका
इसे जिला और पालिका प्रशासन की अकर्मण्यता ही कहा जाएगा कि एकमात्र पार्क को सब्जी मण्डी बना दिया है। शहर की जनता के पास अनुरंजन का कोई अन्य स्थान नहीं है।
भगवत शर्मा, सचिव, नगर विकास समिति
Sunday, March 14, 2010
पार्क की जमीन पर कमाई का खेल
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