रेलमगरा । कस्बे में अभी से ही पेयजल संकट एक गंभीर समस्या बन गई है। यहां 1350 नल कनेक्शन उपभोक्ताओं को पेयजल उपलब्ध नहीं होने से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड रहा है। यहां 72 घण्टे में जलापूर्ति हो रही है, जो अपर्याप्त है। सरकारी आंकडों के अनुसार प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 40 लीटर पानी मिलना चाहिए, लेकिन यहां प्रति कनेक्शन भी 40 लीटर पानी नसीब नहीं हो रहा है।
नगर में लगे 72 हैण्डपम्पों में से 29 का पानी खारा होने के कारण वह हलक से उतरने लायक नहीं है। हालांकि 43 हैण्डपम्पों का पानी पीने योग्य है, लेकिन उनकी दूरी अधिक होने के कारण ग्रामीण उनका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। नगर में जन स्वास्थ्य व अभियांत्रिकी विभाग की ओर से खुदवाए गए कुओं व ट्यूबवेल में से मात्र एक कुएं में ही पानी है, जहां से सवा दो लाख लीटर पानी उपलब्ध हो रहा है।
यदि 48 घंटे में जलापूर्ति की जाए तो भी करीब चार लाख लीटर पानी की आवश्यकता होगी। गौरतलब है कि अल्प वर्षा के कारण क्षेत्र के जलाशय सूख चुके हैं। ऎसे में ग्रामीणों को अभी से पानी की चिंता सताने लगी है। भूमि पुत्रों और पशुपालकों को भी मुश्किलों को सामना करना पडेगा।
पेयजल स्रोत बेदम होते जा रहे हैं। माली खेडा स्थित कुएं से जलापूर्ति की जा रही है जो अपर्याप्त साबित हो रही है। शीघ्र ही बाघेरी नाका से पेयजलापूर्ति की जाएगी।-देवीसिंह चौधरी, कनिष्ठ अभियंता
नगर में लगे 72 हैण्डपम्पों में से 29 का पानी खारा होने के कारण वह हलक से उतरने लायक नहीं है। हालांकि 43 हैण्डपम्पों का पानी पीने योग्य है, लेकिन उनकी दूरी अधिक होने के कारण ग्रामीण उनका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। नगर में जन स्वास्थ्य व अभियांत्रिकी विभाग की ओर से खुदवाए गए कुओं व ट्यूबवेल में से मात्र एक कुएं में ही पानी है, जहां से सवा दो लाख लीटर पानी उपलब्ध हो रहा है।
यदि 48 घंटे में जलापूर्ति की जाए तो भी करीब चार लाख लीटर पानी की आवश्यकता होगी। गौरतलब है कि अल्प वर्षा के कारण क्षेत्र के जलाशय सूख चुके हैं। ऎसे में ग्रामीणों को अभी से पानी की चिंता सताने लगी है। भूमि पुत्रों और पशुपालकों को भी मुश्किलों को सामना करना पडेगा।
पेयजल स्रोत बेदम होते जा रहे हैं। माली खेडा स्थित कुएं से जलापूर्ति की जा रही है जो अपर्याप्त साबित हो रही है। शीघ्र ही बाघेरी नाका से पेयजलापूर्ति की जाएगी।-देवीसिंह चौधरी, कनिष्ठ अभियंता
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