राजसमंद। जिले के दस हजार से अघिक 'बुजुर्ग' कर्मचारियों को कुछ अरसा पहले राजकीय जिम्मेदारियों से तो मुक्ति मिल गई, लेकिन उन्हें तंगहाली में दिवाली मनाने के तनाव ने आ घेरा है। सभी परिलाभों की बात तो दूर, इनमें से अघिकतर को अब तक मासिक पेंशन भी नसीब नहीं हो पा रही है। संबंघित महकमों के आला अफसरों के कारण वे इस बार 'बेरौनक' दिवाली मनाएंगे।
जिले में प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा के शताघिक कर्मचारीगत मार्च या इसके बाद के महीनों में सेवानिवृत्त हुए। राज्य सरकार के स्थायी आदेश हैं कि सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के दिन ही ग्रेच्युटी, जीपीएफ, राज्य बीमा, मासिक पेंशन शुरू करने सहित तमाम बकाया परिलाभों का फायदा दिया जाए, लेकिन इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और... जिले में वर्तमान में करीब 10 से 15 हजार कर्मचारी परिलाभों की बाट जोह रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अघिकतर मामले 'रिवाइज-पे' (संशोघित वेतनमान) की आड में अटकाए गए हैं।
सजा का प्रावधान
राज्य सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष के दौरान सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की सूची और संबंघित दस्तावेज छह माह पूर्व पेंशन विभाग को भेजने के प्रावधान किए गए हैं। यही नहीं, अगर संबंघित महकमा सेवानिवृत्ति के दिन परिलाभों का भुगतान करने में लापरवाही बरतता है तो सीट प्रभारी से मय ब्याज राशि वसूल कर संबंघित कर्मचारी को दी जाए, लेकिन इन आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया गया है।
जिले में प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा के शताघिक कर्मचारीगत मार्च या इसके बाद के महीनों में सेवानिवृत्त हुए। राज्य सरकार के स्थायी आदेश हैं कि सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के दिन ही ग्रेच्युटी, जीपीएफ, राज्य बीमा, मासिक पेंशन शुरू करने सहित तमाम बकाया परिलाभों का फायदा दिया जाए, लेकिन इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और... जिले में वर्तमान में करीब 10 से 15 हजार कर्मचारी परिलाभों की बाट जोह रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अघिकतर मामले 'रिवाइज-पे' (संशोघित वेतनमान) की आड में अटकाए गए हैं।
सजा का प्रावधान
राज्य सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष के दौरान सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की सूची और संबंघित दस्तावेज छह माह पूर्व पेंशन विभाग को भेजने के प्रावधान किए गए हैं। यही नहीं, अगर संबंघित महकमा सेवानिवृत्ति के दिन परिलाभों का भुगतान करने में लापरवाही बरतता है तो सीट प्रभारी से मय ब्याज राशि वसूल कर संबंघित कर्मचारी को दी जाए, लेकिन इन आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया गया है।
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